सोनिया गांधी का राज्यसभा का रुख़ करना क्या कांग्रेस के हित में है?

सोनिया गांधी का राज्यसभा का रुख़ करना क्या कांग्रेस के हित में है?
सोनिया गांधी का राज्यसभा का रुख़ करना क्या कांग्रेस के हित में है?

ऐसे वक़्त जब लोकसभा चुनाव की घोषणा होने में कुछ ही हफ़्ते रह गए हैं, पूर्व कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी ने आने वाले राज्यसभा चुनाव के लिए राजस्थान से अपना नामांकन पत्र दाखिल किया है.

साल 2004 से सोनिया गांधी लोकसभा में रायबरेली का प्रतिनिधित्व कर रही हैं.

ये फ़ैसला ऐसे वक़्त आया है जब पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भारत जोड़ो न्याय यात्रा पर हैं और इस यात्रा की टाइमिंग को लेकर आलोचना हो रही है, ओपिनियन पोल्स में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लगातार तीसरी बार लोकसभा चुनाव में जीत की भविष्यवाणी की जा रही है, एक के बाद एक कांग्रेस नेताओं का पार्टी छोड़ना जारी है और विपक्षी इंडिया अलायंस की पार्टियों के बीच सीटों पर तालमेल को लेकर सवाल उठ रहे हैं.

सोनिया गांधी के राज्यसभा से नामांकन भरने पर भाजपा नेता अमित मालवीय ने ट्वीट किया, “अमेठी में कांग्रेस की करारी हार के बाद अगला नंबर रायबरेली का है. सोनिया गांधी का राज्य सभा से (नामांकन भरने का) फ़ैसला करना मंडरा रही हार की स्वीकारोक्ति है. गांधी परिवार ने अपने माने जाने वाले गढ़ों को छोड़ दिया है. समाजवादी पार्टी के कांग्रेस को 11 सीट देने के बावजूद कांग्रेस उत्तर प्रदेश में एक भी सीट नहीं जीत पाएगी.”

सोनिया गांधी पहली बार अमेठी से 1999 में सांसद बनीं. ये वही सीट है जहां से कभी उनके पति राजीव गांधी चुनाव लड़ते थे. साल 2004 में उन्होंने रायबरेली का रुख़ किया और अमेठी सीट से राहुल गांधी ने चुनाव लड़ा.

राज्य सभा के रास्ते संसद पहुंचने वाली सोनिया नेहरू-गांधी परिवार की दूसरी सदस्य होंगी.

उनकी सास और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी साल 1964 से 1967 तक राज्यसभा की सदस्य थीं. बाद में उन्होंने रायबरेली से चुनाव लड़ा.

आज के कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं को लें तो पार्टी अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद मल्लिकार्जुन खड़गे कर्नाटक से हैं, जबकि राहुल गांधी केरल के वायनाड से सांसद हैं.

साल 2019 के लोकसभा चुनावों को याद करें तो उत्तर भारत में कांग्रेस का प्रदर्शन बेहद ख़राब रहा था.

राहुल गांधी अमेठी का चुनाव हार गए थे. उन्हें भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री स्मृति इरानी ने हराया था.

कई महत्वपूर्ण राज्य जैसे दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान आदि में कांग्रेस खाता तक नहीं खोल पाई थी.

ऐसे में माना जा रहा है कि राजस्थान से सोनिया गांधी के राज्यसभा जाने से कांग्रेस ये संदेश देना चाह रही है कि उत्तर भारत को उसने छोड़ा नहीं है.