वीवीपैट पर्चियों के 100 फीसदी मिलान की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है.
मंगलवार को कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं की दलील सुनने के बाद कहा कि अगली सुनवाई गुरुवार को होगी.
गुरुवार को चुनाव आयोग अपने मामले पर अपना पक्ष रखेगा.
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स ने ये याचिका दायर की है.
इस संस्था का पक्ष रख रहे वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने कहा, “हम यह नहीं कह रहे हैं कि ईवीएम में हेरफेर की जा रही है या की गई है. हम कह रहे हैं कि उन्हें मैनिपुलेट किया जा सकता है. ईवीएम और वीवीपैट दोनों में एक प्रोग्रामेबल चिप होती है.”
इसके अलावा भूषण ने कहा कि ईवीएम का बनाने वाली दो पीएसयू के बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर्स में बीजेपी के सदस्य हैं.
उन्होंने कहा, “आज केवल पांच ईवीएम मशीनों के वीवीपैट पर्चियों का मिलान किया जाता है, जो एक विधानसभा क्षेत्र में 2 प्रतिशत है.”
उन्होंने ये भी कहा कि कई देशों में पूरा चुनाव बैलेट पेपर से होता है.
बेंच ने पूछा, “जर्मनी की आबादी कितनी है.”
कोर्ट ने कहा कि इन देशों की आबादी कम है और भारत की इससे तुलना करना गलत होगा.
भूषण ने सुझाव दिया कि समस्या से निपटने के तीन तरीके हैं, पहला- बैलेट पेपर की ओर वापस जाना.
दूसरा-मतदाताओं को वीवीपैट पर्ची मिले और फिर उसे बैलेट बॉक्स में जमा करने और फिर पर्चियों की गिनती हो.
तीसरा- जहां से वीवीपैट चिट जेनरेट होती हैं उसे ग्लास ट्रासपरेंट रखा जाए और फिर उसकी गिनती हो. अभी जब ग्लास पर वीवीपैट पर्ची जेनरेट होती है तो वह सात सेकेंड के लिए ही दिखती है.