ईमानदारी से जीने पर मानसिक शांति और आत्मविश्वास प्राप्त होता है

ईमानदारी से जीने पर मानसिक शांति और आत्मविश्वास प्राप्त होता है
ईमानदारी से जीने पर मानसिक शांति और आत्मविश्वास प्राप्त होता है

आजकल की स्थिति आप संसार में देख रहे हैं, कि अच्छे सज्जन सरल व्यक्ति गरीब हैं, और अनेक प्रकार से परेशान होकर जैसे तैसे जी रहे हैं। और दूसरी तरफ छली, कपटी, चालाक, धोखेबाज बेईमान लोग बहुत धन कमा कर खूब मजे कर रहे हैं। वे भौतिक साधनों, संपत्तियों का खूब भोग करते हैं। ऐसी स्थिति में कुछ सामान्य बुद्धि वाले लोग भावुकता में आकर यह कहते हैं, कि आजकल अपराध न करना और ईमानदारी से जीना भी एक अपराध हो गया है। कोई बात नहीं। भावुकता में आकर कही गई इन बातों से आप प्रभावित न हों। वेदों के अनुसार वास्तविकता यही है, कि ईमानदारी से ही जीवन जीना चाहिए। भले ही कुछ अज्ञानी लोग उसे आजकल अपराध कहने लग गए हों, परंतु वास्तव में वह अपराध नहीं है। वह तो शुभ कर्म है। परन्तु अनेक सज्जन ईमानदार लोग, झूठे छली कपटी बेईमान लोगों को देखकर विचलित भी हो जाते हैं, और उनकी देखा देखी वे लोग भी बुरे काम करना आरंभ कर देते हैं। ऐसा क्यों होता है? क्योंकि वे लोग ईश्वर की न्याय व्यवस्था को नहीं समझ पाते। ऐसा नहीं है, कि जो दुष्ट, छली, कपटी लोग, आज खूब मजे कर रहे हैं, कल इन्हें दंड नहीं मिलेगा। वास्तव में इनको पशु-पक्षी, वृक्ष आदि योनियों में जाकर बहुत भयंकर दंड भोगना पड़ेगा। आजकल जो पशु- पक्षी, कीड़े-मकोड़े वृक्ष, वनस्पति, जंगली पशु और समुद्री जीव-जंतु हैं, ये सब प्राणी इस बात का प्रमाण हैं, कि इन्होंने पूर्व जन्मों में बहुत अपराध किए हैं, और उसी का दंड आज ये इन पशु-पक्षी आदि शरीरों में भोग रहे हैं। इसी दंड को ही तो आजकल के अपराधी लोग नहीं समझ रहे हैं। इसलिए भ्रष्टाचार करते हैं। कुछ समझदार लोग हैं, जो इस दंड को अपनी बुद्धिमत्ता से समझ लेते हैं। इसलिए चाहे जितनी भी कठिनाई जीवन में आवे, वे अपनी सज्जनता सरलता ईमानदारी और सच्चाई को नहीं छोड़ते। उसी पर अडिग रहते हैं। उन्हें इस प्रकार से जीवन जीता देखकर बहुत से अन्य अच्छे लोग भी, उनसे प्रेरणा लेकर पुरुषार्थ करते हैं, और वे भी बिगड़ने से बच जाते हैं। संसार में जो लोग ईमानदारी से जीते हैं, उनके पास वर्तमान काल में भौतिक साधन भले ही कुछ कम हों। परंतु उनके अंदर मन में बहुत अधिक शांति और आत्मविश्वास होता है, जो कि झूठे, बेईमान छली, कपटी लोगों के अंदर नहीं होता। यह क्या छोटी बात है ? झूठे, बेईमान, छली, कपटी लोगों को ईश्वर का दंड तो, भय, शंका, लज्जा, तनाव आदि के रूप में वर्तमान में भी मिल ही रहा है, और अगले जन्मों में भी पशु-पक्षी, वृक्ष आदि योनियों में भी भयंकर दंड मिलने ही वाला है। इसलिए ईमानदारी से ही जीवन जीना चाहिए। आने वाले समय में ऐसे सज्जन लोगों को ईश्वर बहुत अच्छा फल देगा। ऐसा विश्वास करके चलते रहें, और अपने भविष्य को सुंदर बनाएं।
-स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक, निदेशक दर्शन योग
महाविद्यालय रोजड़, गुजरात