प्राचीन मगध और पाटलिपुत्र साम्राज्य के आधुनिक निवासियों के लिए विचारणीय

प्राचीन मगध और पाटलिपुत्र साम्राज्य के आधुनिक निवासियों के लिए विचारणीय
प्राचीन मगध और पाटलिपुत्र साम्राज्य के आधुनिक निवासियों के लिए विचारणीय

पिछले 10-15 वर्षों में छठ पर्व सर्वव्यापी हो गया है, 15 साल पहले मुंबई के समुद्र तटों पर छठ पूजा करने पर वहाँ की जो राजनीतिक पार्टी बिहारियों पर हमला करती थी, आज वही पार्टी विधिवत छठ पर्व का आयोजन करती है। ये बात अपने आप में पूर्वांचल वासियों की बढ़ती ताकत का प्रमाण है। प्राचीन समय में पूरे भारतवर्ष की सत्ता पाटलिपुत्र से संचालित होती थी, चंद्रगुप्त और अशोक जैसे चक्रवर्ती सम्राट पाटलिपुत्र से पूरे भारत वर्ष पर कंट्रोल रखते थे। वैसे जानने और ध्यान रखने लायक बात ये भी है कि सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य अपने अंतिम समय में जैन मुनि हो गये थे और सम्राट अशोक बौद्ध हो गये थे। भारत में जैन धर्म को प्रचार मिलने का कारण चंद्रगुप्त बने और पूरी दुनिया में बौद्ध धर्म का प्रसाद करने का कारण सम्राट अशोक बने जिन्होंने अपने बेटे-बेटी को भारत के बाहर बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए भेजा। यानि आज से 2300 साल पहले पाटलिपुत्र धर्म के मामले में जितना उदार मन वाला था शायद आज के आधुनिक समय में उतना नहीं है। दुनिया की सबसे बड़ी और अपने समय की सबसे प्रतिष्ठित नालंदा यूनिवर्सिटी भी बिहार में ही थी, जिसमें पढ़ने के लिए पूरी दुनिया के विद्यार्थी आते थे। आज भी दिल्ली की पूरी मीडिया में सबसे बड़े पदों पर और सबसे बड़ी संख्या में बिहार वासी ही हैं। इसके अलावा देश में तमाम सिविल सवेंट जैसे आईएएस, आईपीएस भी सबसे ज्यादा बिहारी हैं। आज दिल्ली की डेमोग्राफी ऐसे बदल चुकी है कि कभी पंजाबी बहुल प्रदेश माना जाने वाले दिल्ली में देश की सबसे बड़ी पार्टी को एक बिहारी को प्रदेश अध्यक्ष बनाना पड़ा। इन सबके बावजूद, आज भी बिहार देश का सबसे गरीब राज्य है, बिहार की प्रति व्यक्ति आय देश में सबसे कम यानि 54110 रुपये मात्र है, यहाँ तक कि आदिवासी बहुल राज्य झारखंड और उड़ीसा भी बिहार से प्रति व्यक्ति आय के मामले में बहुत आगे हो गए हैं। भगवान सूर्य की उपासना करने वाले बिहारियों को कभी इस बारे में भी सोचना चाहिए कि आखरि ऐसा क्यों हो गया उनके प्रदेश के साथ सूर्योपासना इस महान छठ पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ।