द्वितीय – माँ ब्रह्मचारिणी :-
नवरात्रि के दूसरे दिन माँ ब्रह्मचारिणी की आराधना की जाती है ।
माँ का यह रूप पार्वती जी द्वारा की गई घोर तपस्या का प्रतीक है,उनके अविवाहित रूप को माँ ब्रह्मचारिणी के रूप में पूजा जाता है। इस रूप की पूजा करने से तप,त्याग,संयम और सदाचार की वृद्धि होती है।जीवन के कठिन समय में भी मन विचलित नहीं होता।
पौराणिक जानकारी के अनुसार माँ को चमेली गुड़हल,कमल,श्वेत सुगंधित पुष्प प्रिय हैं। उन्हें दूध – चीनी या उनसे बने व्यंजन और पंचामृत का भोग लगाया जाता है। माँ को हरा रंग पसंद है।
प्रार्थना – या देवी सर्वभूतेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै ,नमस्तस्यै ,नमस्तस्यै, नमो – नम:।।
ब्रह्मचारिणी माता का बीज मंत्र –
ह्रीं श्री अम्बिकायै नम:।
प्रस्तुति : – नीरजा वाजपेयी