चुनाव आयोग की ओर से इलेक्टोरल बॉन्ड की ताज़ा जानकारी में रजानीतिक दलों की ओर से 12 अप्रैल 2019 के पहले भुनाए गए इलेक्टोरल बॉन्ड की भी जानकारियां शामिल हैं.
उदाहरण के लिए आम आदमी पार्टी ने अपने 24 अप्रैल 2018 से 10 अप्रैल 2019 तक की भी जानकारी दी है. उसने इस दौरान 3 करोड़ 55 लाख एक हज़ार रुपये के 14 इलेक्टोरल बॉन्ड भुनाए. ये सभी एसबीआई के दिल्ली ब्रांच से कैश कराए गए. इसमें बैंक खाते का नंबर दिया गया है.
हालांकि इन जानकारियों में अल्फ़ान्यूमेरिक नंबर यानी यूनिक नंबर नहीं दिए गए हैं जिससे यह पता नहीं चल पाया है कि किस कंपनी ने पार्टी को चंदा दिया.
इसी तरह भारतीय जनता पार्टी ने 18 मार्च 2018 से 12 अप्रैल 2019 तक भुनाए गए इलेक्टोरल बॉन्ड के आंकड़े दिये हैं. इस दरम्यान पार्टी ने 200 से कुछ अधिक इलेक्टोरल बॉन्ड भुनाए थे. पार्टी ने अकाउंट नंबर भी दिया है और कितने मूल्य के कितने बॉन्ड उसे मिले, उसकी भी जानकारी दी गई है.
इसमें ये भी जानकारी है कि 9 मार्च 2018 से लेकर 14 मार्च 2019 तक पार्टी ने 1450 करोड़ रुपये के इलेक्टोरल बॉन्ड भुनाए.
हालांकि पार्टी ने 10 जुलाई 2023 तक के इलेक्टोरल बॉन्ड की जानकारी दी है.
कांग्रेस ने भी 13 मार्च 2018 से लेकर 7 जुलाई 2023 तक की जानकारी साझा की है. 13 मार्च 2018 से 12 अप्रैल 2019 के बीच पार्टी ने करीब 98 इलेक्टोरल बॉन्ड भुनाए.
कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया (मार्क्सवादी) यानी सीपीएम ने कहा है कि उसने कोई इलेक्टोरल बॉन्ड प्राप्त नहीं किया, क्योंकि उसने इसका विरोध किया था.
बसपा ने भी कहा है कि उसने 30 सितम्बर 2019 तक कोई इलेक्टोरल बॉन्ड नहीं प्राप्त किया. इसी तरह सीपीआई, एमएनएस और अन्य कई पार्टियों ने इलेक्टोरल बॉन्ड प्राप्त न करने की बात कही है.
जबकि अन्य पार्टियों ने जो सूचनाएं मुहैया कराई हैं वो इस डेटा में शामिल हैं. इसमें लगभग 300 पार्टियों की जानकारियां हैं.
रविवार तक सारी जानकारी करनी है सार्वजनिक
पिछले गुरुवार को चुनाव आयोग ने 12 अप्रैल 2019 से 15 फ़रवरी 2024 तक जारी किए गए इलेक्टोरल बॉन्ड की जानकारी सार्वजनिक की थी.
हालांकि याचिकाकर्ताओं ने इस मामले में अल्फ़ान्यूमेरिक नंबर भी जारी किए जाने की मांग की है. जिसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई से 17 मार्च तक ये नंबर जारी करने का आदेश दिया है.
12 अप्रैल 2019 और 2 नवंबर 2023 को जारी सुप्रीम कोर्ट के आदेश तहत, चुनाव आयोग ने 12 अप्रैल 2019 से पहले के इलेक्टोरल बॉन्ड की बिक्री और उसे भुनाने की सारी जानकारी सुप्रीम कोर्ट में जमा की थी.