आलोचना करें लेकिन विकास में व्यवधान न बनें

आलोचना करें लेकिन विकास में व्यवधान न बनें
आलोचना करें लेकिन विकास में व्यवधान न बनें

जबलपुर, का.सं.। भाजपा के दिग्गज एवं नरसिंहपुर से विधायक प्रहलाद पटैल ने विधानसभा में अपने पहले उदबोधन में कहा कि पूरे सदन को अभी तय करना होगा कि अगले पांच साल बाद मप्र विकास की किन ऊंचाईयों को स्पर्श करेगा। उन्होंने कहा कि हम अपने विजन और नीयत को स्पष्ट रूप से तय करें कि हमारा अंतिम लक्ष्य मप्र और इसकी जनता का कल्याण है। उन्होंने कहा कि अमृतकाल में प्रवेश करते हुये विकसित भारत के लिए विरासत के साथ विकसित मप्र के लिए हमें नए विजन और नए मिशन के संकल्पों के साथ काम करना होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वप्र को साकार करने के लिए हमें कृत संकल्पित होना होगा। इससे पूर्व अपने भाषण के प्रारंभ में श्री पटैल ने मप्र के मुख्यमंत्री मोहन यादव को शुभकामनाएं प्रेषित कीं। मैं यहां सीखने आया हूं श्री पटैल ने कहा कि वे सदन में अपने वरिष्ठों से कुछ नया सीखने आए हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री का कितने बार नाम लिया गया, ये अहम नहीं है। जरूरी है मिलेट्स की जानकारी, जो दी गयी है। उन्होंने कहा कि मिलेट्स यानी श्री अन्न। उन्होंने कहा कि ये दुनिया का सर्वोत्तम भोजन है और अब वास्तव में पूरा संसार इस भोजन की ओर उन्मुख हो रहा है और हम इसके सबसे बड़े उत्पादक हैं। आशय यह है कि श्री अन्न भी हमारी प्रगति की राह साफकर सकता है। बीते समय में क्या हुआ, क्या नहीं, इस पर चर्चा न हो, बल्कि आगे के लक्ष्यों पर बात की जानी चाहिए। श्री पटैल ने महाभारत में अर्जुन- कृष्ण संवाद और महान लेखक लियो टॉल्सटॉय की एक कहानी को उल्लेखित करते हुये स्पष्ट किया कि आलोचना अवश्य की जानी चाहिए, लेकिन केवल व्यवधान पैदा करने के लिए विरोध नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने अपने एक अभिन्न मित्र के एक पत्र का जिक्र करते हुये जीवन के
विविध पहलुओं पर बात की।