लॉ के छात्रों को राहत, अगली परीक्षा में बाधक नहीं बनेगी सप्लीमेंट्री

लॉ के छात्रों को राहत, अगली परीक्षा में बाधक नहीं बनेगी सप्लीमेंट्री
लॉ के छात्रों को राहत, अगली परीक्षा में बाधक नहीं बनेगी सप्लीमेंट्री

जबलपुर, का.सं. ।रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय में कई साल से सप्लीमेंट्री परीक्षा पास करने की बाध्यता के नियम को शिथिल करने की माँग की जा रही थी। जिसमें लॉ स्टूडेंट लगातार इस माँग को उठा रहे थे। छात्रों की इस माँग पर विश्वविद्यालय प्रशासन ने अमल करना शुरू कर दिया है। वल्लभ भवन भोपाल से कार्रवाई के संदर्भ में सवाल- जवाब हुआ तो प्रशासन ने सक्रियता जाहिर की। छात्रों को अब पूरक की वजह से किसी भी सेमेस्टर में परीक्षा देने से नहीं रोका जाएगा। अभी प्रथम व तृतीय सेमेस्टर में एटीकेटी वाले विद्यार्थी पाँचवें और छठवें सेमेस्टर की परीक्षा में शामिल नहीं हो पाते थे । अब ऐसे विद्यार्थी भी परीक्षा में शामिल होंगे उनकी एटीकेटी की परीक्षा भी अलग से करवाने का प्रस्ताव बनाया गया है। कुलपति को इस पर निर्णय लेना है। एलएल्बी में विद्यार्थी लंबे समय से स्पेशल पूरक की परीक्षा करवाने की माँग कर रहे हैं। इसके अलावा विद्यार्थी एटीकेटी की वजह से आगामी यह भी किया जाएगा एलएलबी में प्रथम और तृतीय सेमेस्टर में एटीकेटी आने की वजह से पाँचवें और छठवें सेमेस्टर की परीक्षा से वंचित रहने वाले विद्यार्थियों के लिए विशेष परीक्षा करवाई जाएगी। इसे सुपर एटीकेटी एग्जाम नाम दिया है। जिसमें सिर्फ इसी वर्ष के लिए यह लाभ दिया जाएगा। इस संबंध में पत्र आया है उसी के आधार पर प्रस्ताव बनाया गया है, जिसमें एटीकेटी की वजह से अब किसी भी छात्र को पाँचवें और छठवें सेमेस्टर में शामिल होने से नहीं रोका जाएगा। पाँचवें सेमेस्टर की एटीकेटी परीक्षा को प्रथम सेमेस्टर के फ्रेश बैच के साथ लिया जाएगा। इसी तरह छठवें सेमेस्टर में एटीकेटी वाले विद्यार्थियों की परीक्षा द्वितीय सेमेस्टर की परीक्षा के साथ कराने का प्रस्ताव है। -प्रो. रश्मि मिश्रा, परीक्षा नियंत्रक रादुविवि परीक्षा में शामिल नहीं होने की बाध्यता को खत्म करवाने की माँग कर रहे थे। ऐसी माँग को लेकर उच्च शिक्षा विभाग और राजभवन को शिकायत भी भेजी गई थी। जिसके आधार पर विश्वविद्यालय को कार्रवाई के लिए शासन से पत्र आया था। जिसके बाद प्रस्ताव बनाया गया है ताकि विद्यार्थियों की पढ़ाई प्रभावित न हो और परीक्षाओं का अतिरिक्त बोझ विश्वविद्यालय पर न आए। इस प्रस्ताव पर कुलपति को निर्णय लेना है।