मदन महल पहाड़ी के संरक्षित हिस्से में हो रही तेजी से बसाहट

मदन महल पहाड़ी के संरक्षित हिस्से में हो रही तेजी से बसाहट
मदन महल पहाड़ी के संरक्षित हिस्से में हो रही तेजी से बसाहट

प्रशासनिक कार्रवाई बेअसर, फिर पसरने लगे हैं अतिक्रमणकारी

जबलपुर, का.सं.। मदनमहल की संरक्षित पहाड़ी को कब्ज कब्जामुक्त करने के बाद वहां फिर से बसाहट होने लगी है। पहाड़ी में जगह- जगह कच्चे पक्के मकान बनाए जाने लगे हैं। यह बसाहट पहाड़ी को संरक्षित करने के लिए लगाई गई जाली के भीतर हो रही है। यहां कुछ कब्जे निर्माणाधीन हैं। हालत यह हो गई है कि यहां पानी लाइन और बिजली के खंभे हैं, जिससे कब्जाधारियों को मुफ्त की बिजली और पानी मिल रहा है, जिससे इनकी संख्या बढ़ती जा रही है।मुफ्त में मिल रही बिजली-पानी- पुराने कब्जों को तो इस जगह पर तोड़ दिया गया था लेकिन यहां बिछाई गई पाइप लाइन नहीं हटी है। इससे यहां निर्माण कार्य में पेयजल का उपयोग किया जा रहा है। यहां मोटर लगाकर पानी खींचकर ड्रमों में भरा जा रहा है। जानकारों का कहना है कि यहां लगे इलैक्ट्रिक पोल भी नहीं हटाए गए हैं, जिससे ये लोग लग्घी फंसाकर उससे बिजली ले लेते हैं, जिससे मोटर चलती है।

यहां अवैध निर्माण कार्य धड़ल्ले से चल रहे
> मेडिकल के सामने।

» चौहानी के समीप ।

» गढ़ा थाने के पीछे।

» बाजनामठ के पीछे।

दिन-रात चल रहा है निर्माण कार्य इन जगहों पर पहाड़ी पर लगातार निर्माण किया जा रहा है। जानकारों का कहना है कि यहां दिन-रात दोनों समय निर्माण करके एक-दो दिन के भीतर ढांचा खड़ा किया जा रहा है और उसमें लोग रहने लगे हैं। निर्माण में पहाडी से ही मुरम निकालकर उसका इस्तेमाल किया जा रहा है। मदनमहल की पहाड़ी के चौहानी से लेकर मेडिकल के सामने और बाजनामठ तक पहाड़ी के कछार से लेकर उपर तक कब्जे हो रहे हैं। इन जगहों पर कच्चे मकान बना लिए हैं। मौजूदा हालात में यहां कई जगहों पर निर्माण किया जा रहा है। निर्माण में ईंट की दीवार बनाकर उस पर शेड डाला जा रहा है।