सिहोरा और केण्ट में कांगे्रस की जीत आसान नहीं, टक्कर देने वाले उम्मीदवार को उतारना होगा
जबलपुर। भाजपा द्वारा विधानसभा प्रत्याशियों की दूसरी सूची जारी कर दी लेकिन कांगे्रस का प्रदेश नेतृत्व अभी तक प्रत्याशियों की घोषणा करने में आगे-पीछे हो रहा है जिससे कांगे्रस में निराशा का माहौल बन रहा है। बताया जा रहा है कांगे्रस चाह रही है कि भाजपा अपनी सभी पर प्रत्याशियों की घोषणा कर दें इसके बाद कांगे्रस अपने पत्ते खोलेगी। वैसे जिन सीटों पर अभी कांगे्रस के विधायक है उनमें फेरबदल होने की संभावना नहीं है लेकिन जो सीट भाजपा के कब्जे में है खासकर वे जंहा लगातार कांगे्रस हार रही है उन सीटों पर कांगे्रस ऐसे उम्मीदवार उतारने की कोशिश कर रही है जो भाजपा को टक्कर दे सके। ऐसी सीटों में जिले की पनागर, सिहोरा एवं केण्ट विधानसभा है जंहा लगातार कांगे्रस हार रही है इनमें शहर की केण्ट विधानसभा भी शामिल है। पनागर और पाटन विधानसभा ऐसी है जंहा सबसे ज्यादा खींचतान है। पाटन में तो पूर्व विधायक नीलेश अवस्थी प्रबल दावेदार है ही लेकिन इसके अलावा छह ऐसे नेता भी दौड़ में जिनने यह तय किया है कि टिकिट की दौड़ में सभी है लेकिन छह में से यदि किसी एक को टिकिट मिलती है तो बाकी सभी उसे जिताने के लिए मेहनत करेंगे। अब ऐसी सूरत में यदि नीलेश को टिकिट मिलती है ये सभी कांगे्रस को जितवाने के लिए मेहनत करेंगे या हरवाने के लिए इसको लेकर संशय जरूर है। हालांकि पहली बार ऐसा नजारा देखने को मिल रहा है जब किसी एक दावेदार को रास्ते से हटाने के लिए छह दावेदार मिलकर लड़ाई लड़ रहे हो। जानकारों का कहना है कि यदि पाटन से नीलेश की टिकिट रिपीट होती है तो इन छह दावेदारों के कारण कांगे्रस को नुकसान उठाना पड़ सकता है। इसी तरह पनागर में पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष राजेश पटैल, विनोद श्रीवास्तव और वीरेन्द्र चौबे टिकिट की दौड़ में है। वहीं यह भी कहा जा रहा है कि पनागर से भाग्य आजमाने पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष भारत सिंह यादव इस शर्त पर कांगे्रस में आने की सोच रहे है कि उन्हें टिकिट दी जाये। चर्चा थी कि गत दिनों पाटन में प्रदेश कांगे्रस अध्यक्ष कमलनाथ की सभा में भारत ंिसह यादव अपने समर्थकों के साथ कांगे्रस का दामन थामेंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ। हालांकि श्री यादव के समर्थकों का दावा है कि जल्द ही श्री यादव कांगे्रस ज्वाइन कर लेंगे। हालांकि पनागर में कांगे्रस लगातार चुनाव हारते आ रही है और इसकी सबसे बड़ी वजह यंहा कांगे्रस संगठन की कमजोरी एवं खींचतान सबसे बड़ी वजह है। जब भी यंहा से कांगे्रस जिसे उम्मीदवार बनाती है तो बाकी दावेदार उसे हरवाने में खुलकर लग जाते है। इस बार भी ऐसा होने की पूरी उम्मीद है। इसी तरह सिहोरा में जिला पंचायत सदस्य एकता ठाकुर प्रबल दावेदार नजर आ रही है। युवा और पोस्ट गे्रजुएट होने के साथ विधानसभा में लगातार उनकी सक्रियता का लाभ उनको मिल सकता है। रही बात शहर के केण्ट विधानसभा की तो यंहा से पूर्व केण्ट बोर्ड उपाध्यक्ष चिंटू चौकसे के अलावा शिव यादव भी टिकिट की दौड़ में है। रह रह कर महापौर जगत बहादुर अन्नू को भी यंहा से लड़वाने की चर्चा उठती है।
लगातार हारने वाली सीटो पर प्रत्याशी पहले तय कर देना थे : कांगे्रसियों का कहना है कि जिस तरह भाजपा ने बरगी, पूर्व और हाल ही में पश्चिम विधानसभा में प्रत्याशियों की घोषणा कर दी जंहा कांगे्रस विधायक है उसी तरह कांगे्रस को कम से कम पनागर, सिहोरा और केण्ट विधानसभा में प्रत्याशियों की घोषणा पहले कर देना चाहिए था इससे सबसे बड़ा फायदा यह होता कि प्रत्याशी को प्रचार और संपर्क करने का अच्छा समय मिलता साथ ही जो बगावत या विरोध होता वह पहले ही सामने आ जाता और समय रहते डैमेज कंटे्राल कर लिया जाता लेकिन प्रदेश कांगे्रस नेतृत्व जिस तरह निर्णय लेने में आगे पीछे हो रहा है उससे ऐसा लगता है जैसे प्रदेश के वरिष्ठ नेताओं में ही एका नहीं है और यदि इसमें सुधार नहीं आया तो चुनाव में कांगे्रस को ही नुकसान उठाना पड़ेगा। हालांकि कांगे्रसियों का दावा है कि भाजपा पहले प्रत्याशी इसलिए घोषित कर रही है और सांसदों को चुनाव मैदान में इसलिए उतारा है क्योंकि माहौल कांगे्रस का है। लेकिन दूसरी ओर देखा जाये तो पहले प्रत्याशियों की घोषणा करके भाजपा ने कार्यकर्ताओं में नया जोश जरूर पैदा कर दिया है।