नाराज कार्यकर्ता पार्टी के काम में जुटे रहें: केन्द्रीय मंत्री
पहले चुनाव जिताओ, फिर गिले-शिकवे सुने जाएंगे : केन्द्रीय मंत्री प्रहलाद
छिंदवाड़ा। भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं केन्द्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग एवं जलशक्ति मंत्री प्रहलाद पटैल ने कहा कि संगठन की शक्ति कहां हैं, आज भाजपा के पास संख्या ज्यादा है, लेकिन ताकत होती है विश्वास की। जो परिस्थिति आज है उससे ज्यादा अनुकूलता किसी चुनाव में नहीं रही। भाजपा की प्रचंड विजय का संकेत है। ये बात सही है कि कई बार किसी को सच्चाई स्वीकार नहीं होती। अगर किसी कार्यकर्ता का मन नहीं है तो वो कहीं और जाकर पार्टी का काम
करे, लेकिन कार्यकर्ता का घर बैठना ठीक नहीं। सामाजिक जीवन में दोष तो आते हैं। हम परिवार में सब अच्छे से रहते हैं तो परिवार में भी गलत सूचनाओं के कारण मतभिन्नता पैदा हो जाती है, लेकिन हम परिवार के सदस्य से दूर नहीं करते। अंततः वो हमारा कार्यकर्ता है और उसकी नाराजगी एक दिन होगी। श्री पटैल आज छिंदवाड़ा जिले की चौरई विधानसभा के अन्नपूर्णा लॉन में कार्यकर्ता सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर पार्टी के पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता बड़ी संख्या में मौजूद रहे।
तीन मौके मिलने चाहिए– केन्द्रीय मंत्री श्री पटैल ने कहा कि गड़बड़ तब होती है, जब हम छोटे होते हैं और हमें बड़े को समझाना पड़ता है। मैं जब राजनीति की शुरुआत में गोटेगांव आया था तो बहुत आक्रामक राजनीति थी। गाली तो बंद हुई, लेकिन मारपीट बंद नहीं हुई। हमारे साथ कोई नहीं था। कार्यकर्ता का धर्म है कि अपने से बड़े की बेइज्जती न स्वयं करे और न किसी और को करने दे। तीन मौके सबको मिलने चाहिए। नरसिंहपुर में एक मंत्री का बड़ा दबदबा है। हम आपके पैर छूते हैं और आपका हम आदर करते हैं। हर स्थिति में अलग तरह से काम करना चाहिए, लेकिन पार्टी को सदैव सर्वोच्च स्थान पर रखना चाहिए, व्यक्ति को हरगिज नहीं। उन्होंने कहा कि मैं ये नहीं जानता था कि मैं सांसद बन जाउंगा। राजनीति में सिर्फ भाषण से काम नहीं चलता। कार्यकर्ता की चिंता करना नेता का काम है। उन्होंने बताया कि वे जब युवा मोर्चा में काम करते थे तो पहले वरिष्ठों के घर में हाजिरी लगाते
थे। 40 साल पहले भाजपा के पास कुछ नहीं था, सिर्फ दमनकारी शक्तियों का जोर था। अब तो ढेर सारी सुखद स्थितियां हैं इसलिए निर्भय होकर आगे बढ़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि वरिष्ठ का अपमान नहीं किया जाना चाहिए। जो नए आते हैं और पदाधिकारी बन जाते हैं, वे संघर्ष को नहीं जान पाते। हमारी नियती में संघर्ष था, आपकी नियती में शासन करना है। वो दिन कभी नहीं लौटकर नहीं आएंगे। उन्होंने कहा कि वे सांसद बनने के बाद भी सर्किट हाउस में नहीं रुके, कार्यकर्ता के घर पर रूकने की परंपरा कायम रखी। कोयला मंत्री बना तो परासिया अपने कार्यालय में गया और वहां रुका तो पार्टी का दायरा बढ़ गया।
कमलनाथ नेता नहीं, बोझ है– कांग्रेसी इसलिए नहीं बोलते, क्योंकि उनके पास बोलने के लिए कुछ है नहीं। कमलनाथ की नजरें कमजोर हो गयी हैं। कमलनाथ के बेटे को किसी ने गलत पर्ची पकड़ा दी इसलिए उसने घोषणा कर दी कि कमलनाथ 7 दिसंबर को मुख्यमंत्री की शपथ लेंगे। कार्यकर्ताओं को जनता से बोलना चाहिए कि भाजपा ने देश के लिए कितने अच्छे कार्य किए हैं, जिनकी निष्पक्ष तौर पर समीक्षा की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि छिंदवाड़ा जिले में 40 साल तक भय और आपसी लड़ाई के कारण दुःख भोगे हैं। क्या छिंदवाड़ा में कमलनाथ की औलाद ही राज करेगी, क्या छिंदवाड़ा की धरती बांझ हो गयी है। कमलनाथ क्यों जीतते हैं, ये आज तक समझ में नहीं आता। हमें अपने सहयोगी पर शंका नहीं की जानी चाहिए, कार्यकर्ता को नाराजी की बात घर में ही करनी चाहिए, चौराहे पर बोलने से हल नहीं निकलेगा । अब नेताओं का ये सोचकर चलना चाहिए कि मौके एक-दो बार ही मिलेंगे, फिर अगली पीढ़ी के कार्यकर्ता को अवसर दिया जाएगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि प्रदेश में पांचवी बार भाजपा की सरकार बनकर रहेगी शिकवा – शिकायत बाद में करना, चुनाव के बाद उस पर बात करेंगे। वोटिंग के दिन कार्यकर्ता को ही बूथ की जिम्मेदारी संभालनी होगी, प्रत्याशी नहीं पहुंच पाएगा। निर्भय होकर पूरी ऊर्जा के साथ काम में जुटना चाहिए। भाजपा माइक्रो मैनेजमेंट से काम कर रही है। बूथ पर सक्रिय कार्यकर्ता ही पार्टी को जिताते हैं। छोटे-छोटे कार्यकर्ताओं से बात करने की जरूरत है, उन्हें साथ लिए बिना काम नहीं हो सकेगा।