जानकारी जुटाने आज से केन्द्रीय मंत्री शाह की गुजरात से आई टीम ने आठों विधानसभा में डाला डेरा
एक बात तो पूरी साफ हो गई है कि इस बार प्रदेश में विधानसभा चुनाव केन्द्रीय मंत्री अमित शाह द्वारा तय प्लानिंग के अनुसार ही लड़ा जा रहा है। टिकिट वितरण के पहले जंहा श्री शाम द्वारा भेजी गई विधायकों की टीम ने दावेदारों की टोह ली उनकी रिपोर्ट के अनुसार ही लगभग टिकिट दी गई वहीं अब टिकिट वितरण के बाद जिन-जिन विधानसभा में नाराज और असंतुष्ट नेताओं- दावेदारों के कारण पार्टी को नुकसान हो रहा है वंहा श्री शाह की टीम ऐसे नेताओं की जानकारी जुटाने प्रदेश में भेजी जा रही है।
जबलपुर, मुख्य संवाददाता। भाजपा में चल रही चर्चाओं के अनुसार जिले में आज से श्री शाह की गुजरात से आई आठों टीम विधानसभा में डेरा डाल देगी। बताया जाता है कि टीम में शामिल लोग न तो प्रत्याशी से मुलाकात करेंगे ना ही स्थानीय नेताओं से मिलेंगे। इतना ही नहीं वे कहां ठहरेंगे इसकी जानकारी भी किसी को नहीं दी जायेगी। टीम में शामिल लोग एक-एक विधानसभा में घूम कर ऐसे नेता और कार्यकर्ता की जानकारी जुटाएंगे जो या तो नाराजगी के कारण काम नहीं कर रहे या फिर पार्टी प्रत्याशी के लिये पर्दे के पीछे गडढा खोद रहे है। ऐसे नेता कार्यकर्ता पूरी कुंडली जुटाकर जैसे उसका रोजी रोजगार क्या, उसका नाम क्या है और मोबाइल नंबर क्या पता करके श्री शाह द्वारा तय संगठन के वरिष्ठ नेता को देंगे और ये संगठन के नेता ऐसे नेता- कार्यकर्ता को तलब करके पहले तो उन्हें समझायेंगे यदि वह मान गया तो ठीक वरना उसे पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया जायेगा। चर्चा है कि यह टीम नाराज नेता-कार्यकर्ता की जानकारी जुटाने के अलावा विधानसभा में पार्टी प्रत्याशी की क्या स्थिति है। प्रत्याशी कंहा गलती कर रहा है या मेहनत में क्या कमी है यह भी देखेगी।
कुछ विधानसभा में विभीषण का काम कर रहे कार्यकर्ता
टिकिट वितरण और नाम वापसी के बाद अब यह पूरी तरह साफ नजर आ रहा है कि किस विधानसभा नाराज नेता-कार्यकर्ता पार्टी प्रत्याशी को नुकसान पहुंचा रहे है। शहर की दो विधानसभा में तो यह नजारा ज्यादा नजर आ रहा है। संगठन के चाबुक से बचने वे पार्टी प्रत्याशी के साथ तो खड़े हो रहे है लेकिन औपचारिकता निभाने बाद यदि मेहनत की कि जाये तो उनके क्षेत्र में पार्टी के झण्डे, बैनर तक नजर नहीं आ रहे। ना ही वे प्रचार पर निकल रहे है। कुछ इतने चालाक नेता है जो प्रचार तो कर रहे है लेकिन दबी जुबान से मतदाताओं को प्रत्याशी को वोट न देने का इशार भी कर देते है। प्रदेश नेतृत्व तक लगातार पहुंच रही शिकायतों के बाद गृह मंत्री अमित शाह को डैमेज कंट्रोल का जिम्मा भी अपनी टीम के सुपुर्द करना पड़ा।