भाजपा के लिए उत्तर – सिहोरा और कांग्रेस के लिए पनागर – केण्ट बनी सरदर्द

भाजपा की उत्तर-मध्य और सिहोरा विधानसभा एवं कांग्रेस की पनागर एवं केण्ट विधानसभा में प्रत्याशी पर फैसला नहीं होने से दोनों ही दलों में इन विधानसभा के दावेदारों की जंहा नींद उड़ी हुई है वहीं कार्यकर्ताओं का भी उत्साह ठंडा पड़ता जा रहा है। दोनों ही दलों से हर एक दो दिन में यही चर्चा उठती है कि बस आज रात तक प्रत्याशी घोषित हो जायेगा लेकिन खींचतान के कारण ऐसा नहीं हो पा रहा है।

जबलपुर, मुख्य संवाददाता । दावेदारों को ढांढस बंधाने एवं कार्यकर्ताओं की मायूसी दूर करने दोनों ही दलों से यही कहा जा रहा है कि प्रत्याशी पर फैसला हो गया बस घोषणा बस की देरी है लेकिन एक-एक दिन कर जिस तरह समय बीतता जा रहा है उससे यही कहा जा रहा है चाहे कांग्रेस हो या भाजपा दोनों ही दलों के नेता इन सीटों पर प्रत्याशी तय नहीं कर पा रहे है।

उत्तर-मध्य में कोई चूक नहीं करना चाहती भाजपा

दरअसल पिछले चुनाव में भाजपा उत्तर – विधानसभा से बहुत मामूली वोटों से हारी थी और इस हार के पीछे सबसे बड़ी वजह उसके दो बागी प्रत्याशी रहे इसलिए भाजपा इस सीट पर कोई भी जोखिम नहीं उठाना चाह रही है। कहने को यहा से आधा दर्जन के करीब दावेदार है जिनमें नेत्रियां भी शामिल हैं लेकिन भाजपा चाह रही है कि किसी ऐसे दावेदार को टिकिट दिया जाये जिससे ज्यादा बगावत और विरोध का सामना न करना पड़ा और किसी भी सूरत में पिछले चुनाव की कहानी न दोहराई जाये। भाजपा या तो यहा से किसी पुराने चेहरे को उतार सकती है या फिर कोई चौकानें वाला नाम भी आगे कर सकती है। बीच-बीच में यह भी हवा उठी थी कि पार्टी यहां से किसी महिला को टिकिट दे सकती है लेकिन यदि सिहोरा में भाजपा ने कांग्रेस के जवाब में महिला प्रत्याशी उतारी तो उत्तर मध्य में किसी नेता की लाटरी खुल सकती है।

पनागर में राजेश – भारत सिंह के बीच रस्साकशी

कांग्रेस के लिये पनागर विधानसभा जीतना किसी चुनौती से कम से नहीं है। यहां से कांग्रेस को लगातार हार मिल रही है। इतना ही नहीं पिछले चुनाव में तो कांग्रेस प्रत्याशी को तीसरे नंबर पर संतोष करना पड़ा। यहा प्रत्याशी चयन को लेकर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की प्रतिष्ठा लगी हुई है। वैसे अभी तक यहा से पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष राजेश पटैल दावेदारों में सबसे आगे है वहीं भाजपा से बगावत कर निर्दलीय चुनाव लड़ चुके पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष भारत सिंह यादव भी कांग्रेस की टिकिट पर यहा से चुनाव लड़ना चाह रहे है। उनकी शर्त यही है कि वे तभी लड़ेंगे जब उनकी कांग्रेस में ज्वाइनिंग होगी। बताया जाता है। राजेश और भारत के चक्कर में पनागर पर फैसला नहीं हो पा रहा है। वहीं सेवादल से सत्येन्द्र यादव ने भी दिल्ली से दबाव बनाया हुआ है।

केण्ट में प्रत्याशी को लेकर कांग्रेस असमंजस में

कभी कांग्रेस का गढ़ माने जाने वाली केण्ट विधानसभा अब भाजपा के कब्जे में है। पनागर की तरह केण्ट में भी कांग्रेस चाह रही है कि किसी ऐसे को प्रत्याशी बनाया जाये जो भाजपा की नींद उड़ा सके। कभी यहा केण्ट बोर्ड उपाध्यक्ष चिंटू चौकसे तो कभी महापौर जगतबहादुर अन्नू का नाम चर्चाओं में आता है। हाल ही में यह चर्चा भी उठी की कांग्रेस यंहा समझौते के तहत यह सीट जद यू के लिए छोड़ सकती है लेकिन इसको लेकर भी अभी तक कोई ठोस फैसला नहीं हो पाया इसी वजह से केण्ट में भी कांग्रेस प्रत्याशी चयन को लेकर आगे पीछे हो रही है।

सिहोरा में नंदनी या फिर कोई और

बताया जाता है सिहोरा में जिला
बनाने का मुददा सरगर्म है। पड़ोसी मैहर सहित अन्य को जिला बनाने की घोषणा के बाद से सिहोरावासियों को पूरी उम्मीद थी की प्रदेश भाजपा सरकार सिहोरा को भी जिला बनाने की घोषणा करेगी लेकिन ऐसा नहीं किया गया। इससे यदि कांग्रेस ने इस मुददे को भुना लिया तो चुनाव में उसे फायदा मिल सकता है इसको देखते हुये भाजपा सिहोरा में प्रत्याशी बदलने पर विचार कर रहा है उसके पीछे उसकी सोच यह है कि यदि प्रत्याशी बदला गया तो जिले के मुददे पर उसे ज्यादा नुकसान नहीं उठाना पड़ेगा। वैसे कांग्रेस ने सिहोरा से एक युवा प्रत्याशी को टिकिट देकर भाजपा को सोचने मजबूर कर दिया है। देखना यह है कि सिहोरा में भाजपा प्रत्याशी रिपीट करती है या फिर किसी नये दावेदार को मौका देती है