जबलपुर (सिटी डेस्क)। पश्चिम विधानसभा सीट के चुनाव पर पूरे शहर की नजरें टिक गई हैं। यद्यपि अभी तक कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी घोषित नहीं किया है किंतु वर्तमान विधायक तरुण भनोट की टिकिट में कोई संदेह नहीं होने से वे कई महीनों से चुनाव की तैयारी में जुटे हैं। वैसे तो श्री भनोट हमेशा चुनावी मोड में रहते हैं किंतु भाजपा ने अप्रत्याशित रूप से सांसद राकेश सिंह को मैदान में उतारकर मुकाबले को चुनौतीपूर्ण बना दिया जिस वजह से कांग्रेस को भी अब अतिरिक्त मेहनत करना पड़ेगी जो मानकर चल रही थी कि पश्चिम में श्री भनोट अपराजेय हो चले हैं। हालांकि श्री सिंह के लिए ये क्षेत्र अपरिचित नहीं है किंतु बतौर सांसद चूंकि उन्हें 8 विधानसभा क्षेत्रों का ध्यान रखना पड़ता था इसलिए वे श्री भनोट की तुलना में जनता से कम जुड़े हैं किंतु ये भी सही है कि इस सीट पर भाजपा के प्रतिबद्ध मतदाता काफी अधिक हैं और यदि पार्टी ने चुनाव को वैचारिक आधार दे दिया तो फिर कांग्रेस के लिए मुश्किल हो सकती है। दो दिन पहले कांग्रेस की जन आक्रोश यात्रा को जनता का अपेक्षित समर्थन न मिलने से भी चर्चाओं का बाजार गर्म है किंतु पार्टी के समानांतर श्री भनोट का अपना प्रबंधन भी हैं जिसके बल पर वे मैदान में उतरेंगे। जहां तक बात सांसद श्री सिंह की है तो ये चुनाव उनके राजनीतिक जीवन का नया अनुभव है और इसलिए उन्हें अपनी रणनीति नए सिरे से बनानी होगी जो लोकसभा चुनाव से सर्वथा भिन्न रहेगी। भाजपा की उम्मीदवारी के लिए प्रयासरत नेताओं ने जिस प्रकार से खुद को सार्वजनिक परिदृश्य से दूर कर रखा है उसे लेकर भी जितने मुंह उतनी बातें हो रही हैं। श्री सिंह इस बात को भांप गए हैं और इसीलिए उन्होंने संगठन के अपने करीबी लोगों को मोर्चे पर तैनात कर दिया है। चूंकि टक्कर जोरदार होगी लिहाजा दोनों पक्षों द्वारा दिल खोलकर खर्च किए जाने की संभावना है। टिकिट मिलने के बाद भाजपा प्रत्याशी को फ्लाई ओवर के एक हिस्से का शुभारंभ करने का श्रेय मिल गया वहीं आगामी 5 तारीख को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मदन महल किले पर रानी दुर्गावती की विशाल मूर्ति के साथ जिस लोक का शिलान्यास करने आ रहे हैं वह भी संयोगवश इसी क्षेत्र में आता है । लिहाजा श्री सिंह को इसका लाभ मिल सकता है। हालांकि अभी चुनाव प्रचार औपचारिक तौर पर शुरू नहीं हुआ लेकिन दोनों पक्षों की ओर से मोर्चेबंदी शुरू हो चुकी है। कांग्रेस को एक लाभ महापौर जगत बहादुर सिंह अन्नू के इस क्षेत्र का निवासी होने का भी है जो वर्तमान में नगर कांग्रेस के अध्यक्ष भी हैं। संगठन के तौर पर भाजपा भी यहां काफी ताकतवर है और निगम पार्षद भी उसके ज्यादा हैं। लेकिन टिकिट से वंचित नेताओं को काम पर लगाना उसके लिए समस्या हो सकती है। चुनाव का असली माहौल पितृ पक्ष के बाद ही देखने मिलेगा। अभी तारीखों का ऐलान भी नहीं हुआ है। नामांकन के बाद बड़े नेताओं के आने का सिलसिला शुरू होगा। चूंकि प्रधानमंत्री 5 अक्टूबर को आ रहे हैं इसलिए उनका दोबारा आगमन असंभव होगा किंतु गृहमंत्री अमित शाह सहित अन्य दिग्गज आ सकते हैं। लोकसभा में सचेतक रहने के कारण श्री सिंह के भाजपा के बड़े नेताओं से अंतरंग संबंध भी हैं जिसकी बानगी गत दिवस केंद्रीय मंत्री पियूष गोयल के आगमन से मिली । कांग्रेस के पक्ष में राहुल गांधी ही सबसे बड़े प्रचारक होंगे क्योंकि प्रियंका वाड्रा जून में आ चुकी हैं। पश्चिम सीट पर होने वाले मुकाबले असर शहर की बाकी सीटों पर भी पड़ सकता है। इसीलिए इसकी चर्चा जोरों पर है।
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