बालाघाट,एजेंसी। बालाघाट में पिछले दिनों हॉकफोर्स ने 14 लाख के इनामी नक्सली कमलु को मुठभेड़ में मार गिराया। नक्सली कमलु खुंखार माना जाता था। कमलु भले ही उम्र में छोटा था, लेकिन उसके बड़े कारनामों ने उसे तीन राज्यों का मोस्ट वांटेड और हार्डकोर नक्सली बना दिया था। इसको जीवित पकड़ने या मारने पर मध्यप्रदेश में 3 लाख, छत्तीसगढ़ में 5 लाख और महाराष्ट्र में 6 लाख का इनाम था। इस तरह कमलु पर 14 लाख का इनाम शासन ने घोषित किया था। घोर नक्सल प्रभावित छत्तीसगढ़ के पश्चिम बस्तर के बीजापुर अंतर्गत गगालूर निवासी कमलु ने अल्पआयु में ही नक्सली संगठन में अपनी गहरी पैठ बना ली थी। 18 साल की युवावस्था में सामान्य जनजीवन को छोड़कर नक्सली विचारधारा से होती । जुड़े कमलु ने नक्सली हथियार थाम लिया। महज 7 साल में 25 वर्ष की आयु तक नक्सली संगठन में रहकर अपने कारनामों से ऐसा आतंक मचाया कि वह तीन राज्यों मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र का मोस्ट वांटेड नक्सली बन गया। टांडा- दर्रेकसा एरिया कमेटी का एससीएम जिस उम्र में देश का संविधान वोट देने की इजाजत देता है, उस उम्र में छत्तीसगढ़ के बीजापुर के रहने वाले कमलु ने नक्सली हथियार थाम लिया। युवावस्था के जोश में महज सात साल में ही वह टांडा-दर्रेकसा एरिया कमेटी का एससीएम बन गया। एसजेडसीएम दामा का गार्ड + बनकर नक्सली संगठन में अपनी मजबूत पकड़ बना ली। अकेले मध्यप्रदेश में उस पर हत्या, हत्या के प्रयास, अपहरण और आगजनी जैसे अन्य 24 आपराधिक घटनाओं के मामले दर्ज है। छत्तीसगढ़ के पश्चिम बस्तर के बीजापुर अंतर्गत गंगालूर से आने वाले कमलु के बारे में बताया जाता है कि नक्सल प्रभावित क्षेत्र से होने के कारण उसके मन मस्तिष्क पर नक्सली की ऐसी पैठ बनाई कि वह परिस्थिति और शिक्षा के अभाव में अल्पायु में ही नक्सली संगठन से जुड़ गया।
कम उम्र में मिल गई बड़ी जिम्मेदारीइसके बाद उसने फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा और अपने युवावस्था के जोश में वह नक्सली संगठन में अपनी पैठ बढ़ाने के लिए अपने आकाओं के ईशारे पर शासन विरोधी गतिविधियों को अंजाम देते रहा। इसके नक्सली संगठन में समर्पण और कार्य को देखकर उसे कम उम्र में ही नक्सली संगठन ने वह जवाबदारी सौंपी, जो लंबे समय तक नक्सली संगठन में काम करने वालों को हासिल नहीं
बड़ी योजना के तहत कमलु को भेजासूत्रों की माने तो नक्सली संगठन ने कमलु को मध्यप्रदेश में किसी बड़ी योजना के तहत भेजा था। चूंकि नक्सली संगठन को कमलु की कार्यकुशलता पर पूरा विश्वास था और लंबे समय से मध्यप्रदेश के बालाघाट जिले में बैकफुट पर चल रहे नक्सली संगठन के लिए कमलु एक बड़े एसिड के रूप में नजर आ रहा था। इसके चलते उसे बालाघाट जिले में भेजा गया था, ताकि वह यहां रहकर कमजोर चल रहे नक्सली संगठन और गतिविधि को धार दे सके, लेकिन इससे पहले कमलु अपनी सक्रियता को बढ़ाता और गतिविधियों को अंजाम देता, वह पुलिस के साथ मुठभेड़ में मारा गया।29 सितंबर को मारा गया कमलु बालाघाट पुलिस के बुलंद हौसले और पुख्ता रणनीति के चलते 29 सितंबर की तड़के जिले के रूपझर थाना अंतर्गत कुंदुल और कोद्दापार के जंगली क्षेत्र में हॉकफोर्स की टीम और नक्सलियों की मुठभेड़ हुई। इसमें कुख्यात हार्डकोर युवा नक्सली कमलु को मार गिराया। सूत्रों की मानें तो कमलु के साथ नक्सलियों के बड़ी संख्या में जिले के जंगलों में आमद देने की विश्वसनीय सूचना पुलिस के पास थी। जिस पर पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों की रणनीति सोने पर सुहागा रही। रणनीति के तहत वरिष्ठ अधिकारियों के मार्गदर्शन और निर्देशन में हॉकफोर्स की टीम जंगलों में घुसे नक्सलियों की मंसूबों को उनके गढ़ में ही घुसकर ना केवल फेल कर दिया, बल्कि नक्सली संगठन में एसीएम जैसे बड़े पदों में बैठे कुख्यात नक्सली को मार गिराया। 45 मिनट तक चली मुठभेड़
बालाघाट के जंगलों में हुई मुठभेड़ की गोलियों की आवाज 45 मिनट तक सुनाई दी। दोनों ओर से कई सौ राउंड फायरिंग के बाद हार्डकोर वांटेट नक्सली कमलु को मृत हालत में पड़ा मिला। 2022 और 2023 नक्सली उन्मूलन में लगे बालाघाट पुलिस और सुरक्षाबलों की कंपनियों के लिए सुनहरा साबित हो रहा है। 2022 में बालाघाट पुलिस और सुरक्षाबलों की कंपनियों ने 6 बड़े हार्डकोर नक्सलियों को मार गिराया था। वहीं इस वर्ष में 9 महीने में बालाघाट पुलिस और हॉकफोर्स ने 3 बड़े नक्सलियों को मार गिराया। इस वर्ष महज 9 महीने में दो बड़ी मुठभेड़ में बालाघाट पुलिस और सुरक्षाबलों की कंपनी को नक्सलियों को मार गिराने में सफलता मिली है 129 सितंबर को हॉकफोर्स के एसआई विपिन खलगो के नेतृत्व में जवानों ने नक्सली संगठन के एसीएम और टांडा संयुक्त दर्रेकसा एरिया कमेटी के सक्रिय सदस्य, माओवादी एसजेडसीएम दामा के गार्ड कमलु को आमने-सामने की मुठभेड़ में मार गिराया।