मुरैना, ईएमएस | मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में सांसदों व केंद्रीय मंत्रियों को टिकट देने का फौरी लाभ भाजपा को मिलता दिख रहा है। खासकर चंबल संभाग में केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को टिकट मिलने के बाद विरोध के स्वर दबने लगे हैं। बागियों की धरती पर राजनीति में भी कम नहीं बगावत – चंबल को बागियों की धरती कहा जाता है । राजनीति में भी बगावत कम नहीं दिखती रही है। हाल के चुनावों का इतिहास रहा है कि यहां टिकट वितरण के बाद विरोध की आंच कई दिनों तक राजधानी तक महसूस की जाती रही है लेकिन इस बार तोमर के सामने आने से विरोध के स्वर दबने लगे हैं । नेता अगर मन से एकजुट नहीं भी हैं तो खुल कर नाराजगी जाहिर नहीं कर रहे हैं। इसे पार्टी की प्रारंभिक सफलता कहा जा रहा है। सामने आते हैं दिलचस्प किस्से – चंबल अंचल में बगावत की पृष्ठभूमि तलाशने पर दिलचस्प किस्से सामने आते हैं। 2020 का उप चुनाव भी एक उदाहरण है। उप चुनाव में भाजपा की अंतर्कलह खुलकर भी दिखी थी । तब भाजपा की हार के बाद प्रत्याशी रघुराज सिंह कंषाना ने कई मौकों पर अपनी ही पार्टी के पूर्व मंत्री पर भितरघात व चुनाव हरवाने के आरोप लगाए थे। तब सुमावली विधानसभा क्षेत्र में भाजपा के कई नेताओं ने कांग्रेस प्रत्याशी अजब सिंह कुशवाह के लिए काम किया था, इस बार ऐसा दुस्साहस नहीं दिखता । मुरैना जिले की सबलगढ़ विधानसभा क्षेत्र में सवा महीने पहले भाजपा ने सरला रावत को टिकट दिया, जिसके बाद सबलगढ़ में भाजपा दो धड़ों में बंट गई, खुलकर विरोध हो रहा था, कई नेता पार्टी छोड़कर दूसरे दलों में चले गए, लेकिन जैसे ही केंद्रीय मंत्री तोमर दिमनी से उम्मीदवार बने, सबलगढ़ में यह विरोध पूरी तरह शांत हो गया है।
श्योपुर विधानसभा सीट पर फजीहत- इससे कहीं बुरी फजीहत श्योपुर विधानसभा सीट पर होती रही है, जहां जब- जब दुर्गालाल विजय को टिकट मिला, तब-तब टिकट की दौड़ में शामिल सीनियर नेताओं तक ने पार्टी का विरोध किया। साल 2013 व 2018 में भी दुर्गालाल उम्मीदवार घोषित हुए तब, विरोध इतना था, कि टिकट बदलवाने के लिए श्योपुर भाजपा के बड़े-बड़े नेताओं ने भोपाल से लेकर दिल्ली तक जाकर विरोध जताया था।
इसलिए थम गए विरोध के सुर – सभी नेताओं को यह संदेश दिया गया है, कि पार्टी द्वारा तय किए गए किसी भी उम्मीदवार का विरोध भाजपा का नहीं, बल्कि केंद्रीय मंत्री तोमर का विरोध माना जाएगा। मुरैना व श्योपुर में जितने भी भाजपा के कद्दावर नेता हैं, वह केंद्रीय मंत्री तोमर के समर्थक माने जाते हैं। यही कारण है कि वे पूरी तरह सुन्न हालत में हैं।