बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी का निधन हो गया है.
वह 72 साल के थे और पिछले कुछ समय से कैंसर से जूझ रहे थे.
बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने एक्स पर पोस्ट करके उन्हें श्रद्धांजलि दी है.
लोकसभा चुनाव का एलान होने के बाद सुशील मोदी ने एक्स पर लिखा था, “मैं पिछले छह महीने से कैंसर से जंग लड़ रहा हूं. अब मुझे लगता है कि लोगों को इस बारे में बता देना चाहिए. मैं लोकसभा चुनाव में ज़्यादा कुछ नहीं कर पाऊंगा.”
सुशील कुमार मोदी की छात्र राजनीति की शुरुआत 1971 में हुई. वो उस वक्त पटना विश्वविद्यालय संघ की 5 सदस्यीय कैबिनेट के सदस्य निर्वाचित हुए. 1973 में वो महामंत्री चुने गए.
लेकिन जेपी आंदोलन के प्रभाव में आने के बाद उन्होंने पोस्ट ग्रैजुएशन में पटना विश्वविद्यालय में दाखिला लेकर पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी. आपातकाल में वे 19 महीने जेल में रहे. 1977 से 1986 तक वो अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में महत्वपूर्ण पदों पर रहे.
1990 में सुशील कुमार मोदी ने पटना केन्द्रीय विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा और विधानसभा पहुंचे. 1995 और 2000 का भी चुनाव वो इसी सीट से जीते. साल 2004 में वे भागलपुर लोकसभा क्षेत्र से चुनाव जीते.
साल 2005 में उन्होंने संसद सदस्यता से इस्तीफ़ा दिया और विधान परिषद के लिए चुने गए. वह उपमुख्यमंत्री भी बने. इस दौरान वो पार्टी में भी अलग-अलग दायित्व संभालते रहे.
सुशील कुमार मोदी साल 1996 में चारा घोटाले में पटना हाईकोर्ट में सीबीआई जांच की मांग को लेकर याचिका दायर करने वालों में से एक थे.
साल 2015 में जेडीयू आरजेडी की सरकार बनने के बाद, सुशील मोदी के निशाने पर फिर से लालू परिवार आया.
उन्होंने 4 अप्रैल 2017 से लालू परिवार की बेनामी संपत्ति को लेकर लगातार 44 प्रेस कॉन्फ्रेंस की.
नतीजा ये हुआ कि 26 जुलाई 2017 को सरकार गिर गई. नई सरकार 27 जुलाई को बनी जिसमें सुशील कुमार मोदी उपमुख्यमंत्री बने.
लोक जनशक्ति पार्टी नेता और केंद्रीय मंत्री रहे रामविलास पासवान की मृत्यु के बाद खाली हुई सीट पर बचे कार्यकाल के लिए साल 2020 में सुशील मोदी को बिहार की राज्यसभा सीट से सांसद बनाया गया था.
इस साल की शुरुआत में जब जेडीयू ने आरजेडी से नाता तोड़कर फिर से बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाई थी, तब सुशील कुमार मोदी को उपमुख्यमंत्री नहीं बनाया गया था.
फिर जब फरवरी में कार्यकाल ख़त्म होने के बाद उन्हें दोबारा राज्यसभा नहीं भेजा गया तो उनके राजनीतिक भविष्य को लेकर कई तरह के कयास लगने लगे थे. हालांकि, बाद में उन्होंने बताया था कि वह कैंसर से जूझ रहे हैं.