केजरीवाल का बचाव कर अपने पाँव पर कुल्हाड़ी मार रही कांग्रेस

केजरीवाल का बचाव कर अपने पाँव पर कुल्हाड़ी मार रही कांग्रेस
केजरीवाल का बचाव कर अपने पाँव पर कुल्हाड़ी मार रही कांग्रेस

 

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को ईडी द्वारा गिरफ़्तार करने के बाद 6 दिन के रिमांड पर ले लिया गया। चर्चित शराब घोटाले के सिलसिले में दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया और राज्यसभा सदस्य संजय सिंह पहले से जेल में हैं। तेलंगाना के पूर्व मुख्यमंत्री के.सी. रेड्डी की बेटी भी गिरफ्त में है । उक्त घोटाले में कुछ और लोग भी जेल की हवा खा रहे हैं। ये प्रकरण इतना उलझ जाएगा ये अनुमान किसी को न था। दिल्ली की नई शराब नीति पर जब कांग्रेस और भाजपा ने बवाल मचाया तब दिल्ली सरकार के एक अधिकारी ने उपराज्यपाल से उसमें भ्रष्टाचार की शिकायत की। जिसके बाद श्री केजरीवाल समझ गए कि वे लपेटे में आ जाएंगे तो वह नीति रद्द कर दी गई। लेकिन कांग्रेस और भाजपा द्वारा की गई शिकायतें और अधिकारी की रिपोर्ट पर सीबीआई और ईडी सक्रिय हुईं और फिर कुछ व्यापारियों सहित श्री सिसौदिया और श्री सिंह पकड़े गए। जाँच में उजागर हुआ कि शराब नीति में मिली घूस का उपयोग आम आदमी पार्टी ने गोवा विधानसभा चुनाव में किया और श्री केजरीवाल भी घोटाले से जुड़े हुए थे। इस पर उन्हें पूछताछ हेतु समन भेजे जाते रहे किंतु वे किसी न किसी बहाने से उनको अनदेखा करते गए। 9 समन भेजने के बाद भी पूछताछ हेतु न आना उन्हें संदिग्ध बनाने के लिए पर्याप्त था। दो दिन पहले उन्होंने अपनी संभावित गिरफ्तारी रोकने उच्च न्यायालय की शरण ली किंतु उसने उनकी अर्जी ठुकरा दी जिसके बाद ईडी ने उनको गिरफ्तार कर लिया। चूंकि लोकसभा चुनाव सिर पर हैं इसलिए आम आदमी पार्टी सहित अधिकांश विपक्ष भाजपा और केंद्र सरकार पर चढ़ बैठा। गत दिवस अदालत ने रिमांड अर्जी मंजूर करते हुए श्री केजरीवाल की दिक्कतें बढ़ा दीं। उसके बाद सवाल उठा कि दिल्ली सरकार कैसे चलेगी क्योंकि श्री केजरीवाल ने इस्तीफा देने से इंकार करते हुए जेल से हुकूमत चलाने की बात कही। इसके संवैधानिक पहलू पर बहस चल रही है क्योंकि मुख्यमंत्री रहते हुए किसी की ये पहली गिरफ्तारी है। हाल ही में झारखण्ड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी गिरफ्तारी के पहले इस्तीफा दे दिया था। इस बारे में संविधान चूंकि मौन है इसलिए क्या होगा ये जल्द सामने आ जायेगा। कुछ लोगों का कहना है यदि मुख्यमंत्री इस्तीफा नहीं देंगे तो राष्ट्रपति शासन की संभावना उत्पन्न हो सकती है। आश्चर्य ये है कि यही केजरीवाल ईडी को ललकारते हुए सोनिया गांधी को गिरफ्तार करने कहते थे । शराब नीति के विरोध में कांग्रेस नेताओं के पुराने साक्षात्कार भी चर्चा का विषय बने हुए हैं। जहाँ तक सवाल श्री केजरीवाल को गिरफ्तार किये जाने के औचित्य का है तो ईडी के 9 समन रद्दी में फेंकने का दुस्साहस निश्चित तौर पर अक्षम्य है। मुख्यमंत्री किसी जाँच एजेंसी के बुलाये जाने पर एक दो बार तो व्यस्तता का बहाना बना सकता है किंतु वह न जाने की ज़िद पकड़ ले तो उसका नैतिक और कानूनी पक्ष स्वाभविक रूप से कमजोर हो जाता है। पूछताछ के लिए ईडी दफ्तर में न आकर श्री केजरीवाल ने चोर की दाढ़ी में तिनका की कहावत को चरितार्थ कर दिया। उनको पता था कि अंततः वे गिरफ्तार होंगे। ऐसे में उनकी गिरफ्तारी पर ईडी और केंद्र सरकार पर आरोप लगाने से विपक्ष अपनी खुद की कमजोरी उजागर कर रहा है। जो कांग्रेस इस मामले में केजरीवाल सरकार का बचाव कर रही है वह खुद शराब नीति में भ्रष्टाचार को उजागर करने में अग्रणी रही। इसीलिए दिल्ली और पंजाब के उसके तमाम नेता लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के साथ गठबन्धन के विरुद्ध थे। लेकिन आलाकमान ने उस विरोध को नजरंदाज कर दिया। श्री केजरीवाल की गिरफ्तारी का विरोध कर रहे गाँधी परिवार को अपने नेताओं के उन बयानों को निकालकर सुनना चाहिए जिनमें श्री सिसौदिया की गिरफ्तारी का स्वागत करते हुए इस बात का ढोल पीटा गया था कि शराब घोटाला उसने ही उजागर किया था। ऐसा लगता है कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने गलतियों से सबक नहीं लेने की कसम खाई है। इसीलिये जिस आम आदमी पार्टी ने उसकी लुटिया डुबोई उसी के नेता के बचाव में वह आगे – आगे हो रही है।