संपादकीय – रवीन्द्र वाजपेयी
दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल दिल्ली शराब घोटाले से संबंधित पूछताछ हेतु ईडी द्वारा भेजे गए समन की उपेक्षा करते हुए 10 दिनों के लिए अज्ञात स्थान पर चले गए जहां वे विपश्यना का अभ्यास करेंगे । कुछ माह पहले भी उन्हें ईडी द्वारा समन भेजा गया था किंतु श्री केजरीवाल ने उसे राजनीतिक करार देते हुए आने से इंकार कर दिया। ताजा समन पर उनकी आपत्ति लगभग पुरानी ही है। इस बार भी उसे राजनीतिक बनाते हुए उन्होंने ये कहा है कि ईडी ने उनके द्वारा पूर्व में उठाई गई आपत्तियों का निराकरण नहीं किया । इसके अलावा ये भी स्पष्ट नहीं है कि उनसे पूछताछ मुख्यमंत्री की हैसियत से होगी अथवा आम आदमी पार्टी संयोजक के रूप में ? ईडी के बुलावे पर उन्होंने ये भी कहा कि उनके पास छिपाने के लिए कुछ नहीं है। ऐसे में प्रश्न उठता है कि जब वे स्वयं को पारदर्शी मानते हैं तब उनको ईडी के सामने जाने में क्या परेशानी है ? इस बारे में जानकारों का कहना है कि ईडी को चूंकि समन का पालन न करने वाले की गिरफ्तारी का अधिकार नहीं है इसीलिए श्री केजरीवाल उसकी अवहेलना करने का साहस दिखा सके। कुछ लोगों का ये भी मानना है कि वे इस बात से भयभीत हैं कि पूछताछ के दौरान ही ईडी उनको गिरफ्तार कर सकती है और वैसा होने पर उनके और आम आदमी पार्टी के लिए अकल्पनीय परेशानी उत्पन्न हो सकती हैं। लोकसभा चुनाव जैसे – जैसे नजदीक आ रहे हैं वैसे – वैसे आम आदमी पार्टी की चिंता बढ़ रही हैं । श्री केजरीवाल के दाहिने हाथ कहे जाने वाले मनीष सिसौदिया और बेहद आक्रामक नेता संजय सिंह पहले से ही जेल में हैं। ऐसे में यदि मुख्यमंत्री भी गिरफ्तार हुए तो उनकी सरकार के सामने जबरदस्त संकट आ खड़ा होगा। सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि इंडिया गठबंधन का सदस्य होने के बावजूद आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच रिश्ते खटास भरे हैं। लोकसभा चुनाव के लिए सीटों के बंटवारे के सवाल पर दिल्ली और पंजाब में आम आदमी पार्टी कांग्रेस के लिए सीटें छोड़ने के प्रति अनिच्छुक है। दिल्ली प्रदेश के तमाम दिग्गज भी आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन के विरुद्ध हैं। शराब घोटाले में हो रही कार्रवाई का भी अनेक कांग्रेसी नेताओं ने समर्थन किया है। इन परिस्थितियों में श्री केजरीवाल का गिरफ्तार होना कांग्रेस के लिए तो फायदेमंद रहेगा किंतु आम आदमी पार्टी की ऐंठ खत्म हो जावेगी। 19 दिसंबर को दिल्ली में हुई इंडिया गठबंधन की बैठक में प.बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल नेत्री ममता बैनर्जी द्वारा नरेंद्र मोदी के मुकाबले प्रधानमंत्री पद हेतु कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे का नाम प्रस्तावित किए जाने पर श्री केजरीवाल ने जिस तत्परता से उसका समर्थन किया उससे कांग्रेस के साथ ही नीतीश कुमार और अखिलेश यादव भी खफा हैं। ऐसे में यदि ईडी द्वारा उनको गिरफ्तार किया गया तो हो सकता है उनको कांग्रेस सहित उक्त नेताओं का वैसा समर्थन मिलना संदिग्ध है जिसकी उन्हें अपेक्षा होगी। यही वजह है कि वे विपश्यना के बहाने 10 दिन के लिए दिल्ली से बाहर चले गए। लेकिन कहावत है बकरे की मां कब तक खैर मनाएगी, और उस दृष्टि से श्री केजरीवाल ईडी के बुलावे को कब तक टालते रहेंगे ये सोचने वाली बात है। यदि समन के पीछे राजनीति होने के उनके आरोप को सही मान लें तब भी किसी कानूनी प्रक्रिया से वे ज्यादा समय तक नहीं बच सकेंगे। और उनके इर्दगिर्द शक का घेरा बड़ा होता जाएगा। उन्हीं की तरह झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी ईडी के समन की अवहेलना करते हुए गैर हाजिरी के लिए नए – नए बहाने खोज रहे हैं। जहां तक बात श्री केजरीवाल की है तो एक बात तो उन्हें माननी ही होगी कि शराब घोटाले में गिरफ्तार हुए उनके उपमुख्यमंत्री श्री सिसौदिया और सांसद श्री सिंह की जमानत अदालतों द्वारा लगातार रद्द की जाती रही है। ऐसे में शराब घोटाले के संबंध में आए समन को राजनीति से प्रेरित बताने का दिल्ली के मुख्यमंत्री का प्रयास गले नहीं उतर रहा। बेहतर तो यही होगा कि वे विपश्यना से लौटने के बाद खुद ईडी के सामने प्रस्तुत हों और उसके सवालों का उत्तर दें क्योंकि वे ज्यादा समय तक उससे बच नहीं सकेंगे।