नई दिल्ली, एजेंसी। ऑटोमोबाइल सेक्टर की कंपनी किआ को भारत में अगले साल बिक्री में कम से कम 10 फीसदी इजाफे की उम्मीद है। कंपनी का जोर प्रीमियम कॉम्पैक्ट एसयूवी और इलेक्ट्रिक वाहनों पर ही रहेगा। किआ इंडिया के नैशनल हेड (सेल्स ऐंड मार्केटिंग) हरदीप सिंह बराड़ ने कहा कि कैलेंडर वर्ष 2023 में कंपनी को 2.25 लाख वाहन बिकने की उम्मीद है। इसमें 70,000 वाहनों का निर्यात भी शामिल है। अगले साल बिक्री में कम से कम 10 फीसदी वृद्धि का उसका अनुमान है। मगर बिक्री बढ़ाने के लिए इंट्री लेवल और किफायती कार सेगमेंट में कदम रखने की कोरियाई कंपनी की कोई योजना नहीं है। बराड़ ने कहा कि 10 साल पहले हैचबैक और सिडैन की 65 फीसदी हिस्सेदारी थी, जो अब गिरकर 30 फीसदी से भी कम रह गई है। इस समय भारत में स्पोर्ट्स यूटिलिटी व्हीकल का ही बाजार बढ़ रहा है, इसलिए किया एसयूवी ही लाएगी मगर दूसरी कंपनियों की तरह इंट्री लेवल पर बेहद कम कीमत की एसयूवी शायद ही आए। किया ने अपनी कॉम्पैक्ट एसयूवी सॉनेट के नए संस्करण से आज पर्दा हटाया। नई सॉनेट में डीजल इंजन के साथ मैनुअल ट्रांसमिशन एक बार फिर दिया गया है। साथ ही इसके सभी मॉडलों में 6 एयरबैग के साथ नई ऑटोमैटिक सुरक्षा प्रणाली एडैस भी दी गई है। नई एसयूवी की प्री बुकिंग 20 दिसंबर से शुरू होगी और अगले साल इसकी डिलिवरी आरंभ कर दी जाएगी। मौजूदा सॉनेट 8 लाख से 14 लाख रुपये की आती है। नए संस्करण की कीमत स्वाभाविक रूप से अधिक होगी मगर उसका खुलासा नए साल पर ही किया जाएगा। ईवी के बारे में पूछने पर बराड़ ने कहा, ‘इलेक्ट्रिक वाहनों में किया काफी मजबूत है और भारत में भी इस पर हमारा पूरा जोर है। मगर भारत में अब भी 98 फीसदी गाड़ियां पेट्रोल और डीजल इंजन वाली ही बिकती हैं। ईवी की हिस्सेदारी केवल 2 फीसदी है, जिसे 2030 तक भी बढ़कर 15 से 20 फीसदी होने का ही अनुमान है। इसलिए अभी कोई भी कार कंपनी इस सेगमेंट में पूरी ताकत के साथ नहीं जुट रही है। हम भी बाजार बढ़ने के साथ यहां अपने ईवी मॉडल बढ़ाते जाएंगे। ‘मगर उन्होंने कहा कि किया आने वाले दो साल में भारत में दो इलेक्ट्रिक गाड़ियां पेश करने जा रही है। भारत में किया ईवी6 पहले ही बेच रही है, जिसकी एक्स शोरूम कीमत लगभग 61 लाख रुपये से शुरू होती है। अगले साल कंपनी अपनी ताकतवर इलेक्ट्रिक कार ईवी9 उतारने जा रही है और 2025 में किफायती कीमत के साथ एक ईवी उतारी जाएगी। बराड़ ने कहा कि इसके बाद बाजार और मांग में इजाफे के हिसाब से ही नए मॉडल पेश करने पर विचार किया जाएगा। लेकिन जापानी कंपनियों की तरह हाइब्रिड कार लाने का किया का कोई भी इरादा नहीं है। गाड़ियों की प्रतीक्षा अवधि घटाने पर उन्होंने कहा, ‘हमारे कारखाने की उत्पादन क्षमता 3 लाख वाहन की है, जिसे इस साल बढ़ाकर 3.25 लाख कर लिया जाएगा। जैसे-जैसे मांग बढ़ेगी, हम पालियां बढ़ाकर, ऑटोमेशन का सहारा लेकर और कर्मचारियों की संख्या बढ़ाकर उत्पादन 4 लाख वाहन सालाना तक पहुंचा लेंगे। बराड़ ने कहा कि जिन कंपनियों के पास ईवी के लिए स्पष्ट रणनीति नहीं है, वे फौरी इंतजाम के तौर पर हाइब्रिड उतार रही हैं। मगर हाइब्रिड वाहन ईंधन पर खर्च घटाने के मामले में ईवी का मुकाबला नहीं कर पाते और ग्राहक उनका पिकअप भी कम रहने की शिकायत करते हैं। इसलिए हाइब्रिड में किया की फिलहाल कोई दिलचस्पी नहीं है।
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