तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सांसद महुआ मोइत्रा ने लोकसभा सदस्यता छीने जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। गौरतलब है कि कैश के बदले सवाल मामले में घिरने और आचार समिति की तरफ से लोकसभा में रिपोर्ट रखे जाने के बाद सदन के अध्यक्ष ने उन्हें निष्कसित कर दिया था। इसी के खिलाफ टीएमसी सांसद सर्वोच्च न्यायालय पहुंचीं हैं। गौरतलब है कि महुआ मोइत्रा पर पैसे लेकर संसद में सवाल पूछने के आरोप लगे हैं। इन्हीं की जांच कर रही संसद की आचार समिति ने लोकसभा में महुआ की सांसदी खत्म करने की सिफारिश की थी। बाद में रिपोर्ट के आधार पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने महुआ को निष्कासित कर दिया।
लोकसभा स्पीकर को लिखे अपने पत्र में दुबे ने कहा था कि उन्हें वकील और महुआ के पूर्व दोस्त जय अनंत का एक पत्र मिला है, जिसमें उन्होंने मोइत्रा और जाने-माने बिजनेस टाइकून दर्शन हीरानंदानी के बीच सवाल पूछने के लिए रिश्वत के आदान-प्रदान के सबूत साझा किए हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि जय ने एक विस्तृत शोध किया है जिसके आधार पर उन्होंने निष्कर्ष निकाला है कि हाल ही में, मोइत्रा ने संसद में उनके द्वारा पूछे गए कुल 61 में से लगभग 50 प्रश्न दर्शन हीरानंदानी और उनकी कंपनी के व्यावसायिक हितों को बचाने के लिए थे। हालांकि, महुआ मोइत्रा ने जय अनंत का जिक्र करते हुए कहा कि आरोप झूठ पर आधारित थे। आरोप यह भी है कि कारोबारी हीरानंदानी अलग-अलग स्थानों से एवं अधिकतर दुबई से सवाल पूछने के लिए मोइत्रा की ‘लॉगइन आईडी’ का इस्तेमाल करते थे। इन आरोपों के सामने आने के बाद लोकसभा अध्यक्ष ने पूरा मामला आचार समिति के पास भेज दिया था।
आचार समिति में क्या हुआ?
पैसे लेकर संसद में सवाल पूछने के मामले की जांच करने वाले लोकसभा की आचार समिति ने 2 नवंबर को पूछताछ की थी। वहीं 9 नवंबर को एक बैठक में भाजपा सांसद विनोद कुमार सोनकर की अध्यक्षता वाली समिति ने रिश्वत लेकर सवाल पूछने के मामले में मोइत्रा को लोकसभा से निष्कासित करने की सिफारिश करते हुए अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। कांग्रेस सांसद परनीत कौर सहित समिति के छह सदस्यों ने रिपोर्ट के पक्ष में मतदान किया था। जबकि विपक्षी दलों से जुड़े समिति के चार सदस्यों ने असहमति नोट प्रस्तुत किए थे। विपक्षी सदस्यों ने रिपोर्ट को ‘फिक्स्ड मैच’ करार दिया और कहा कि भाजपा सांसद निशिकांत दुबे द्वारा दायर शिकायत के समर्थन में कुछ भी सबूत पेश नहीं किया गया।
अब संसद में रखी गई रिपोर्ट में क्या सामने आया है?
आचार समिति की रिपोर्ट को शीतकालीन सत्र के पहले ही दिन (4 दिसंबर) कार्यसूची में शामिल किया गया था। रिपोर्ट में न सिर्फ महुआ की सदस्यता निरस्त करने की, बल्कि उनके कृत्यों को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा मानते हुए इसकी जांच भी कराने की सिफारिश की गई है। रिपोर्ट पेश होने के बाद शुक्रवार (8 दिसंबर) को महुआ के खिलाफ निष्कासन प्रस्ताव लाया गया। वहीं लोकसभा में रिपोर्ट पर चर्चा के बाद सदन ने समिति की सिफारिश के पक्ष में वोट किया जिससे मोइत्रा की संसद सदस्यता खत्म हो गई। हालांकि, विभिन्न विपक्षी दलों के सदस्यों ने इस फैसले के विरोध जताया।
आरोपों पर महुआ का क्या कहना है?
इससे पहले आचार समिति के सामने खुद महुआ ने स्वीकार किया था कि उन्होंने संसद में सवाल पूछने के पोर्टल से जुड़ी अपनी आईडी-पासवर्ड साझा किए थे। हालांकि, महुआ मोइत्रा ने पहले एक बयान में अपने पूर्व साथी जय अनंत का जिक्र करते हुए कहा था कि आरोप झूठ पर आधारित थे।