जम्मू कश्मीर को राज्य का दर्जा दें और सितंबर 24 तक चुनाव कराएं
सर्वोच्च न्यायालय में आज मोदी सरकार के एक और फैसले की जबरदस्त जीत हुई जब उसने जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाली धारा 370 को हटाए जाने के फैसले को बरकरार रखते हुए माना की उक्त धारा अस्थायी थी। राज्य के विभाजन को भी न्यायालय ने सही मानते हुए इस बारे में प्रस्तुत याचिकाओं को नामंजूर कर दिया । इस फैसले का देश की राजनीति पर जबरदस्त प्रभाव पड़ेगा। आगामी लोकसभा चुनाव में ये फैसला भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए किसी ब्रह्मास्त्र से कम नहीं होगा। 22 जनवरी को राम मंदिर के शुभारंभ की तैयारियों के बीच आए इस फैसले से भाजपा विरोधी उन दलों को जोरदार झटका लगा है जो इस फैसले को संविधान की मूल भावना का उल्लंघन बताते हुए ये साबित करने में जुटे थे कि धारा 370 को हटाना संभव नहीं था और मोदी सरकार के फैसले से कोई लाभ नहीं हुआ। उल्लेखनीय है गत सप्ताह ही जम्मू कश्मीर में विधानसभा सीटों के आरक्षण संबंधी प्रस्ताव को मंजूरी मिली।
नई दिल्ली, एजेंसी। सुप्रीम कोर्ट को पांच जजों की संविधान पीठ ने अनुच्छेद 370 को हटाने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अपना फैसला सुन्य
दिया है। सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि जम्मू और कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है। उन्होंने कहा कि केंद्र के फैसले पर सवाल उताना उचित नहीं है।
सीजेआई ने कहा कि राज्य की ओर से केंद्र द्वारा लिया गया हर निर्णय चुनौती के अधीन नहीं है। इससे अराजकता और अनिश्चितता पैदा होगी और राज्य का प्रशासन उप हो जाएगा।
अभिन्न अंग है जम्मू-कश्मीर- चंद्रचूड़
अनुच्छेद 370 मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आर्टिकल 370 जम्मू-कश्मीर के संघ के साथ संवैधानिक एकीकरण के लिए था और यह विघटन के लिए नहीं था और राष्ट्रपत्ति घोषणा कर सकते हैं कि अनुच्छेद 370 का अस्तित्व समाप्त हो गया है। आर्टिकल 370 को हटाना संवैधानिक तौर पर
सही-अनुच्छेद 370 पर सुप्री पर सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस हीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि आर्टिकल 370 हटाने का फैसला बरकरार रहेगा। उन्होंने कहा कि 370 को हटाना संवैधानिक तौर पर सही है। राष्ट्रपति के पास फैसले लेने का अधिकार है। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड, जज संजय किशन कौल, जज संजीव खत्रा, बीआर गवई और जज सूर्यकांत की पांच न्यायाधीशों चाली संविधान पीठ ने अनुच्छेद 370 को रद करने वाले केंद्र सरकार के फैसले को बरकरार रखा। सीजेआई ने कहा कि राष्ट्रपति द्वारा लिया फैसला वैध है। भारतीय संविधान के सभी प्रावधान की जम्मू-कश्मीर पर लागू हो सकते हैं। सीजेआई ने कहा कि जम्मू-कश्मीर की संविधान सभा की सिफारिश भारत के राष्ट्रपति के लिए चाध्यकारी नहीं है।
सीजेआई ने कहा कि हम निर्देश देते हैं कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में राज्य का दां जल्द से जल्द बहाल किया जाए और चुनाव आयोग 30 सितंबर, 2024 तक जम्मू कश्मीर विधानसभा के चुनाव कराने के लिए कदम उठाए। सीजेआई ने कहा कि राष्ट्रपति के लिए
जरूरी नहीं कि जम्मू-कश्मीर संविधान सभा की सिफारिश पर ही 370 पर कोई आदेश जारी करें । सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अनुच्छेद 370 का अस्तित्व समाप्त होने की अधिसूचना जारी करने की राष्ट्रपति को शक्ति जम्मू-कश्मीर संविधान सभा के भंग होने के बाद भी बनी रहती है।
डा. कर्ण सिंह ने किया फैसले का स्वागत
इस फैसले के बाद नेताओं की भी प्रतिक्रिया आने लगी है। इसी कड़ी में वरिष्ठ कांग्रेस नेता और राज्य के अंतिम महाराजा हरि सिंह के बेटे कर्ण सिंह ने कोर्ट के फैसले का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि में इसका स्वागत करता हूं। अब यह स्पष्ट हो गया है कि जो कुछ भी हुआ वह संवैधानिक रूप से वैध है… मैं पीएम मोदी से अनुरोध करता हूं जल्द ही राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए कदम उठाएं।