गौतम बुद्ध से जुड़ा किस्सा है। बुद्ध के उपदेशों की वजह से उनके सभी शिष्य भी मानवता के मार्ग पर चल रहे थे। सभी शिष्य जरूरतमंद लोगों की मदद करने में पीछे नहीं हटते थे। ऐसे ही कुछ शिष्यों को एक दिन रास्ते में भूखा भिखारी दिखाई दिया। भूख की वजह से वह भिखारी बेहोश गया था। उसके आसपास कई लोग इकट्ठा हो गए थे, लेकिन कोई उसकी मदद नहीं कर रहा था। बुद्ध के एक शिष्य ने कहा कि अगर ये यहीं पड़ा रहा तो मर जाएगा। अंत समय में ये तथागत से ज्ञान की बातें सुन लेगा तो उसका जीवन धन्य हो जाएगा। ऐसा सोचकर शिष्य उस भिखारी को लेकर बुद्ध के पास ले जाने की कोशिश करने लगे। वह भिखारी इतना कमजोर था कि चल भी नहीं पा रहा था। तब एक शिष्य बुद्ध पास के पहुंचा और उस भिखारी की बात बताई। बुद्ध तुरंत ही उस बेहोश भिखारी के पास पहुंच गए।
बुद्ध को देखकर शिष्यों ने कहा कि ये व्यक्ति मृत्यु के निकट है, आप इसे ज्ञान की कुछ बातें बता दीजिए, ताकि इसका जीवन धन्य हो जाए। बुद्ध ने कहा कि हम इसे उपदेश तो बाद में देंगे, लेकिन सबसे पहले इसे कुछ खाने को दो। बुद्ध के कहने के बाद तुरंत ही लोगों ने खाने की व्यवस्था कर दी।
खाना मिलते ही भिखारी ने खाना शुरू कर दिया। जब उसका पेट भर गया, वह गहरी नींद में सो गया। बुद्ध ने कहा कि हमारा काम हो गया है, अब हमें यहां से चलना चाहिए। शिष्यों ने और आसपास खड़े लोगों ने बुद्ध से कहा कि ये कैसा मूर्ख है, खाना खाकर सो गया। आप यहां थे, इसने उपदेश भी नहीं लिया।
बुद्ध की सीख : बुद्ध ने कहा कि कोई बात नहीं, ये कई दिनों से भूखा था। भूख की वजह से कमजोर हो गया था। इसके लिए सबसे बड़ा उपदेश यही है कि भूखे व्यक्ति को धर्म-कर्म और ज्ञान की बातों से कोई मतलब नहीं होता है। सबसे पहले भूखे का पेट भरना चाहिए। अगर कोई व्यक्ति भूखा है तो वह धर्म का मर्म नहीं समझेगा। तुम लोग यही भूल कर रहे थे। सबसे पहले इसे खाना देना था, इसके बाद ही ये धर्म की कोई बात समझेगा। हमें आसपास जहां भी जरूरतमंद लोग दिखाई दें, उन्हें खाना जरूर खिलाना चाहिए। यही आज का उपदेश है।