चिंतन…. संकट के समय विशेष मित्र ही काम आते हैं 

चिंतन….  संकट के समय विशेष मित्र ही काम आते हैं 
चिंतन….  संकट के समय विशेष मित्र ही काम आते हैं 

 

समाज में लोगों के जो संबंध होते हैं, वे दो प्रकार के होते हैं। एक सामान्य , और दूसरे विशेष।

आपके भी कुछ मित्र होंगे। सामान्य रूप से आपके 10 ,12 ,15 ,20 मित्र हो सकते हैं। वे कभी-कभी मिलते होंगे। लेकिन उन में से एक ,दो, तीन कुछ विशेष मित्र भी हो सकते हैं, जिनके साथ आपकी मित्रता कुछ अधिक गहरी और आत्मीयतापूर्ण होगी।

इन दो प्रकार के मित्रों में से जो सामान्य मित्र होते हैं, उनका स्तर ऐसा होता है कि वे सामान्य परिस्थितियों में तो आपको सहयोग देंगे, और आप भी उन्हें सहयोग देंगे। परंतु विशेष आपत्ति काल में हो सकता है, आप का हालचाल पूछने की औपचारिकता निभाने तक के लिए, शायद वे कभी आपसे मिलने आपके पास आ भी जाएं। फिर भी वे आपको विशेष सहयोग नहीं देंगे।

परंतु जो विशेष मित्र होते हैं, एक दो या तीन। वे आपको आपत्ति काल में भी पूरा सहयोग देंगे, अपने चार काम छोड़ कर भी आपकी सहायता करेंगे। ऐसे विशेष मित्र एक – दो तो प्रायः सभी के होते ही हैं.

अब सामान्य परिस्थितियों में आपके जो मित्र आपका स्वागत करते हैं, या आप उनका स्वागत करते हैं, तो इसे संबंध का चमकना कहते है। परंतु आपत्ति काल में यदि आप मित्रों का सहयोग करते हैं, अथवा आपके मित्र आपका सहयोग करते हैं, तब इसे संबंध का फूलों की तरह खिलना कहते हैं।

इसलिए 1,2,3 तो कम से कम ऐसे मित्र अवश्य बनाएं, जिनके साथ आपका संबंध सदा फूलों की तरह खिला रहे, और आपत्ति काल में आप एक दूसरे को तन मन धन से सहयोग करें, तभी जीवन का आनंद है।

—– स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक, निदेशक दर्शन योग महाविद्यालय रोजड़, गुजरात।