लक्ष्य की प्राप्ति के लिए ईमानदारी और बुद्धिमत्ता से पूर्ण पुरुषार्थ करें

लक्ष्य की प्राप्ति के लिए ईमानदारी और बुद्धिमत्ता से पूर्ण पुरुषार्थ करें
लक्ष्य की प्राप्ति के लिए ईमानदारी और बुद्धिमत्ता से पूर्ण पुरुषार्थ करें

व्यक्ति कुछ योजना बनाता है, फिर उसके लिए कुछ पुरुषार्थ भी करता है। परंतु कभी-कभी जब उसमें सफलता नहीं मिलती, तो वह निराश हो जाता है। वह अपनी असफलता के सही कारण को नहीं ढूंढता। और इधर-उधर की सुनी सुनाई बातों पर विश्वास करके अपने भाग्य को कोसने लगता है। और ऐसा सोचता है, कि मेरी तो किस्मत ही खराब है। जब यह वस्तु मेरी किस्मत में ही नहीं है, तो मुझे कैसे मिल सकती है? ऐसी बिना प्रमाण की, बिना तर्क की, व्यर्थ बातों में विश्वास नहीं करना चाहिए, और अपने सुंदर भविष्य को नष्ट नहीं करना चाहिए। बल्कि बुद्धिमत्ता से प्रमाण और तर्क से उस गलती को ढूंढना चाहिए, जिसके कारण आप अपने उद्देश्य में सफल नहीं हो पाए। यदि आप ऐसा करेंगे, तो आपको अपनी गलती मिल जाएगी। अगली योजना में उस गलती से बचें। आशावादी बनें। अपनी पिछली गलती का सुधार करें, तो आपको आपके उद्देश्य में सफलता मिल सकती है। आपकी पिछली गलतियां क्या- क्या हो सकती हैं? उदाहरण के लिए आप जिस लक्ष्य की प्राप्ति करना चाहते थे, उसके लिए आपके पास धन – मशीनरी दुकान नौकर आदि साधन कम रहे होंगे। हो सकता है, कुछ आलस्य प्रमाद आदि दोष भी आपने किए – हों। कभी कुछ दूसरे लोगों ने आपके कार्य में बाधाएं भी ■ डाली होंगी। हो सकता है, उस कार्य को करने की विधि • की भी आपको जानकारी कम होगी। आदि आदि ■ गलतियां हो सकती हैं। इन गलतियों को ढूंढें। अगली ■ योजना में इन गलतियों को न दोहराएं। अपने ईश्वर से • सद्बुद्धि उत्साह बल आदि की प्रार्थना करें। ईश्वर भी – आपको बहुत सहयोग देगा। और समाज के बुद्धिमान • लोगों से भी सहयोग लेवें। यदि आप इतना करेंगे और – आशावादी विचार रखेंगे, कि मैं अपने लक्ष्य में अवश्य ही सफल होऊंगा, तो आप निश्चित रूप से अपने लक्ष्य • की प्राप्ति में सफल हो सकते हैं, और अपने जीवन को
– सुखमय बना सकते हैं।

– स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक, निदेशक दर्शन योग महाविद्यालय, रोजड़,

गुजरात।