सांसारिक सिद्धियों से श्रेष्ठ हैं आध्यात्मिक सिद्धियां

सांसारिक सिद्धियों से श्रेष्ठ हैं आध्यात्मिक सिद्धियां
सांसारिक सिद्धियों से श्रेष्ठ हैं आध्यात्मिक सिद्धियां

सिद्धि और प्रसिद्धि ये दोनों शब्द मिलते-जुलते से हैं। परंतु इनके अर्थ में बहुत अधिक अंतर है। सिद्धि का अर्थ है कोई विशेष योग्यता, विशेष गुण, या विशेष आचरण जो आप अपने जीवन में धारण कर चुके हों, उसका नाम है सिद्धि । और प्रसिद्धि का अर्थ होता है कि आप के अड़ोसी-पड़ोसी, गली-मोहल्ले, सोसाइटी वाले लोग आपको जानने लगें। आपके गांव, नगर और प्रांत के लोग आपको पहचानने लगें। देश और दुनियां भर में आपका नाम फैल गया। यह प्रसिद्धि कहलाती है। इन दोनों में प्रसिद्धि पाना तो सरल कार्य है, परंतु सिद्धि पाना कठिन कार्य है। यद्यपि प्रसिद्धि भी किसी सिद्धि पर ही आधारित होती है। फिर भी कुछ छोटी-छोटी सिद्धियां होती हैं। ये सांसारिक स्तर की सिद्धियां होती हैं। जैसे कोई व्यक्ति खेल कूद के क्षेत्र में आगे बढ़ गया। कोई पढ़ाई-लिखाई में आगे बढ़ गया। कोई विज्ञान के क्षेत्र में आगे बढ़ गया। उस उस व्यक्ति को जो-जो विशेष योग्यताएं प्राप्त हुईं, उनका नाम भी सिद्धि है। इन सिद्धियों के आधार पर उस-उस व्यक्ति की प्रसिद्धि होती है। परंतु
ये सांसारिक सिद्धियां कम मूल्यवान हैं। इनकी तुलना में आध्यात्मिक सिद्धियां अधिक मूल्यवान हैं। उन्हें प्राप्त करना कठिन है। सांसारिक सिद्धियां प्राप्त करने वाले लाखों लोग आपको मिलेंगे। परंतु आध्यात्मिक सिद्धियां प्राप्त करने वाले तो बहुत कम देखने को मिलते हैं।
आध्यात्मिक सिद्धियां ऐसी होती हैं, जैसे किसी व्यक्ति ने साधना करके अपने मन पर विजय प्राप्त कर ली। वह ईश्वर के ध्यान में मग्न रहता है। क्रोध नहीं करता। उसने लोभ को जीत लिया। उसने इंद्रियों को जीत लिया। वह रूप रस गंध शब्द आदि भौतिक विषयों का सुख नहीं लेता, आदि ।ये ऊंचे स्तर की आध्यात्मिक सिद्धियां हैं। इनको प्राप्त करना कठिन होता है। फिर भी जिस व्यक्ति का जैसा सामथ्र्य हो, उसे ऐसी सिद्धियां भी प्राप्त करने का प्रयास तो अवश्य ही करना चाहिए। इन आध्यात्मिक सिद्धियों की प्राप्ति से ही वास्तव में जीवन सफल होता है, शान्ति मिलती है, अन्यथा नहीं। – स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक, निदेशक दर्शन योग महाविद्यालय, रोजड़, गुजरात।