इस बार अपनी धान बेचने खून के आंसू रोयेंगे किसान

इस बार अपनी धान बेचने खून के आंसू रोयेंगे किसान
इस बार अपनी धान बेचने खून के आंसू रोयेंगे किसान

ऐसी जगह बना दिये खरीदी केन्द्र जिनके समीप बने वेयर हाउस पहले से भरे हैं

जबलपुर, मुख्य संवाददाता। इस बार किसानों को प्रशासन द्वारा तय खरीदी केन्द्रों में अपनी धान बेचने के लिये खून के आंसू रोना तय है….. एक तरफ इस बार फिर उन केन्द्रों को खरीदी केन्द्र बना दिये गये जंहा मूंग और धान खरीदी में जमकर भ्रष्टाचार हुआ था जिससे सरकार को करोड़ो रूपये की चपत लगी थी। इसके अलावा कुछ ऐसे भी खरीदी केन्द्र बना दिये गये जिनके समीप स्थित वेयर हाउस में पैर रखने तक जगह नहीं है यानि किसी में धान भरी पड़ी है तो किसी में मूंग, और कई में पुराना गेंहू तो किसी चावल रखा है। तय है जब किसान धान बेचने खरीदी केन्द्र आयेंगे तो समीप के वेयर हाउस में धान रखने जगह नहीं होने के कारण उनको दूर बने वेयर हाउसों में जाना पड़ेगा जिससे उनका समय भी बर्बाद होगा और उनको परिवहन खर्च भी ज्यादा देना पड़ेगा। इस बात समझ से परे है कि आखिर किस वजह से ऐसी जगह खरीदी केन्द्र बना दिये गये जिनके समीप स्थित वेयर हाउस पहले से भरे है। जबकि प्रदेश सरकार के स्पष्ट निर्देश है कि खरीदी केन्द्र ऐसे स्थान पर बनाये जाये जो किसान को दूर न पड़े लेकिन जब से खरीदी केन्द्रों का चयन अनुविभागीय अधिकारी करने लगे है तब से खरीदी केन्द्र किसानों की सुविधा नहीं चेहरे देखकर बनाये जाने लगे है।
इससे भ्रष्टाचार और भर्राशाही बढ़ने लगी है। जबकि इसके पहले लॉटरी के जरिये वेयर हाउसों की मेपिंग की जाती थी। जानकारों का कहना है कि इस समय खरीदी में एक गिरोह सा काम कर रहा है जिसमें एमपीडब्ल्यू एलसी, वेयर हाउस, फुड विभाग के साथ जिला प्रशासन के अधिकारी, एफपीओ वाले और खाघ विभाग के कुछ सेवानिवृत्त अधिकारी मिलकर खरीदी करवा रहे है जिससे उन्हें तो जमकर कमाई हो रही है लेकिन शासन को चूना लग रहा है। इस संबंध में जब एमपीडब्ल्यू एलसी के जिला प्रबंधक से बात करना चाही गई तो उनका मोबाईल कवरेज के बाहर मिला।