इसलिए आना-जाना असुरक्षित
भोपाल. एजेंसी। हम राजधानी में हैं, लेकिन भोपाल नगर निगम सीमा में आने वाली 50 किमी लंबी मेन रोड और कॉलोनियों को जोड़ने वाली एप्रोच रोड पर स्ट्रीट लाइट नदारद हैं। यानी शहर के बीचो-बीच ये वो इलाका है, जहां रात के वक्त आना-जाना सुरक्षित नहीं। इनमें सबसे ज्यादा सरकारी दफ्तरों वाला क्षेत्र अरेरा हिल्स भी शुमार है। निजी दफ्तरों के लिए एमपी नगर क्षेत्र विख्यात है, लेकिन यहां भी हालात जस के तस हैं। खासकर राजधानी में महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराधों को देखते हुए स्ट्रीट लाइट का मुद्दा और अहम हो जाता है। भोपाल शहर की 5 मुख्य विधानसभा वार आंकड़े बताते हैं कि केवल दक्षिण पश्चिम ही ऐसा इलाका है, जहां जरूरत के हिसाब से पर्याप्त स्ट्रीट लाइट हैं।
बात हुजूर, नरेला, गोविंदपुरा, दक्षिण-पश्चिम और मध्य विधानसभा क्षेत्र में अभी करीब 10 हजार स्ट्रीट लाइट की जरूरत है। इनमें सबसे ज्यादा गोविंदपुरा क्षेत्र में करीब 5000 स्ट्रीट लाइट चाहिएं। गोविंदपुरा विधानसभा क्षेत्र में नई कॉलोनियां डेवलप हो चुकी हैं, इसलिए यहां मेन रोड और इन्हें जोड़ने वाली एप्रोच रोड पर करीब 35 किमी स्ट्रीट लाइट लगनी बाकी हैं।
विधानसभावार अंधेरे का गणित… हुजूर में 2 हजार, गोविंदपुरा में 5 हजार स्ट्रीट लाइट की दरकार हुजूर इलाका वार ये विधानसभा क्षेत्र सबसे बड़ा माना जाता है। यहां करीब 5 हजार स्ट्रीट लाइट लग चुकी है, लेकिन 2 हजार लाइट की और जरूरत है। कोलार रोड में ही करीब 5 किमी एरिया में पूरा इन्फास्ट्रक्चर ही तैयार करना है। रातीबड़-गांधी नगर क्षेत्र में एक हजार और बैरागढ़ में भी करीब 500 लाइट लगाई जानी है।
नरेला इस विधानसभा क्षेत्र में भोपाल नगर निगम करीब 7500 स्ट्रीट लाइट लगा चुका है। अभी 2500 लाइट की और जरूरत है। इनमें करोंद और गोविंदपुरा इंडस्ट्रियल एरिया के आसपास के इलाके शामिल हैं। गोविंदपुरा सबसे ज्यादा नई कॉलोनियां इसी विधानसभा क्षेत्र में डेवलप हुई हैं। इसलिए करीब 35 किमी लंबी दूरी में 5000 स्ट्रीट लाइट और लगाई जानी चाहिए। इनमें बागमुगालिया, कटारा हिल्स, आशिमा मॉल के आसपास, मिसरोद और बावड़िया कला क्षेत्र शामिल हैं।