आजकल लोग प्राथमिकता निर्धारित करना भूल गए हैं। प्राथमिकता का तात्पर्य है, कि जिन लोगों या वस्तुओं को अधिक और पहले महत्व देना चाहिए, उनको कम और बाद में महत्व देते हैं। जिन लोगों या वस्तुओं को कम और बाद में महत्व देना चाहिए, उनको अधिक और पहले महत्व देते हैं। इस विषय में संसार के मनुष्यों को गहराई से चिंतन करना चाहिए, और ठीक प्रकार से प्राथमिकता देनी चाहिए। प्रश्न- किसको महत्व पहले एवं अधिक दें और किसको कम और बाद में ? इस बात का ठीक निर्णय किस प्रकार से होता है ? इस प्रश्न का उत्तर है, कि जिस व्यक्ति या वस्तु से आपको अधिक लाभ होता हो, तथा लंबे समय तक लाभ होता हो, उस व्यक्ति या वस्तु का महत्व अधिक होता है। इस कारण से उसको प्राथमिकता देनी चाहिए। और जिस व्यक्ति या वस्तु से कम लाभ होता हो और कुछ ही दिनों का लाभ होता हो, उस व्यक्ति या वस्तु को कम और बाद में महत्व देना चाहिए। इस प्रकार से आप व्यक्तियों और वस्तुओं की प्राथमिकता का निर्णय करें। सामान्य रूप से आपके परिवार के सदस्य आपको अधिक लाभ देते हैं, और जीवन भर या लंबे समय तक लाभ देते हैं। विशेष रूप से आपत्ति काल में भी वे आपकी सहायता करते हैं । इसलिए उनको महत्व अधिक और पहले देना चाहिए तथा बाहर के लोगों, जो मीडिया आदि पर मित्र हैं, उनको महत्व कम और बाद में देना चाहिए। क्योंकि उनसे आपको लाभ बहुत कम है और कुछ ही दिनों का है। कुछ दिनों बाद आपकी मित्रता उनसे रहेगी या नहीं, इस बात की भी कोई गारंटी नहीं है। वे भौतिक रूप से आपसे बहुत दूर होने के कारण आप को लाभ दे पाएंगे या नहीं, इस बात की भी कोई गारंटी नहीं है। जबकि आप के परिवार के लोग पूरा जीवन आपके काम आएंगे। इसलिए बुद्धिमत्ता की बात यही है, कि जिससे अधिक लाभ होता हो, और जीवन भर या लंबे समय तक लाभ होता हो, उसको अर्थात अपने परिवार वालों को महत्व अधिक और पहले देना चाहिए। बाकी दूर के व्यक्तियों को महत्व कम और बाद में देना चाहिए। तभी आप जीवन में सुख प्राप्त कर पाएंगे।
– स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक, निदेशक -दर्शन योग महाविद्यालय, रोजड़, गुजरात