भाई दूज कल पूजा मुहूर्त और कथा

भाई दूज कल पूजा मुहूर्त और कथा
भाई दूज कल पूजा मुहूर्त और कथा

दिवाली के पर्व की शुरुआत अगर धनतेरस से होती है तो इसका अंत भाई- दूज से होता है। भाई-बहन के प्रेम को चरितार्थ करते इस पर्व का इंतजार हर भाई-बहन को शिद्दत से होता है लेकिन इस बार इस त्योहार को लेकर थोड़ा सा मन में भ्रम पैदा हो गया है। दरअसल धनतेरस 10 तारीख को था और उस हिसाब से भईया दूज 14 नवंबर को होना चाहिए लेकिन ऐसा नहीं है, ये पर्व 15 नवंबर को मनाया जाएगा।

15 नवंबर को मनाया जाएगा त्योहार : दरअसल कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भाई दूज मनाया जाता है। इस बार ये द्वितीया तिथि 14 नवंबर 2023 को दोपहर 02.36 बजे से शुरू हो रही है और इसका समापन 15 नवंबर 2023 को दोपहर 01.47 बजे होगा और चूंकि हिंदू धर्म में वैदिक तिथि मान्य होती है इसलिए ये त्योहार 15 नवंबर को मनाया जाएगा। हालांकि कुछ जगहों पर आज दोपहर 02.36 बजे के बाद से ही भाई का टीका बहनों द्वारा किया जाएगा। बता दें कि इस पर्व में बहनें अपने भाईयों के माथे पर तिलक करके उनकी लंबी उम्र के लिए ऊपर वाले से प्रार्थना करती हैं तो वहीं भाई अपनी बहनों के पैर छूकर जीवन भर उसकी रक्षा करने का वचन और उपहार देता है।

सबसे प्रचलित न कथा यमी और यमराज की: रिश्तों के महत्व का समझाते इस सुंदर त्योहार का जिक्र हमारी पौराणिक कथाओं में भी मिलता है। लेकिन सबसे प्रचलित कथा यमी और यमराज की है। आपको बता दें जान कि यमी यानी कि यमुना जी यमराज की बहन हैं। पौराणिक कथा के मुताबिक कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को एक बार यमराज यमी के पास पहुंचे तो यमी ने अपने भाई यमराज की खूब सेवा की, जिस पर प्रसन्न होते हुए यमराज ने पूछा- बताइए कि क्या वरदान चाहिए ?

जो भी यमुना में स्नान करे वो सीधे यमपुरी न जाए: इस पर यमी ने कहा कि आप मुझे वरदान दो कि जो भी यमुना में स्नान करे वो सीधे यमपुरी जाए यमी की मांग को सुनकर यमराज परेशान हो गए, अपने भाई को चिंतित समझकर बोलीं कि अच्छा आप मुझे वरदान दो कि जो भाई कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को अपनी बहन से मिले, उसके घर पर भोजन करे और यमुना में स्नान करे उसे यमलोक नहीं पड़ा। यमराज ने तुरंत उन्हें वो वरदान दे दिया और इसी के साथ ही भाई दूज बाई बहनों के प्रेम और समर्पण का बेहद ही सुंदर पर्व बन गया