नवरात्रि के चौथे दिन – माँ कूष्मांडा देवी:-
नवरात्रि में चतुर्थी के दिन देवी के कूष्मांडा रूप की आराधना की जाती है। अपनी मंद- मंद हंसी के द्वारा ब्रह्मांड की उत्पत्ति करने के कारण उनको कूष्मांडा नाम से जाना जाता है। देवी के इस स्वरूप की आराधना से भक्तों के रोगों और शोक का नाश होता है तथा उन्हें आयु, यश, बल और आरोग्य प्राप्त होता है। माँ को नारंगी रंग,पान , केसर ,पीले पुष्प के साथ मालपुए और केले का भोग प्रिय है।
माँ कूष्मांडा का बीज मंत्र: ऐं ह्री देव्यै नम:।
प्रर्थना – या देवीसर्वभूतेषु माँ कूष्माण्डा रूपेणसंस्थिता।
नमस्तस्यै , नमस्तस्यै , नमस्तस्यै , नमो – नमः॥
प्रस्तुति : नीरजा वाजपेयी