उत्तर विधानसभा सीट पर लंबे इंतजार के बाद भाजपा ने अभिलाष पांडे को प्रत्याशी घोषित कर तो दिया लेकिन उसका ये निर्णय सिर मुड़ाते ही ओले पड़ने वाला साबित हुआ । इस क्षेत्र से पार्टी टिकिट के अन्य दावेदारों के समर्थक सैकड़ों की संख्या में रानीताल स्थित संभागीय कार्यालय में जमा हो गए और फिर वहां जो हुआ वह कम से कम इसके पहले तो इस पार्टी में नहीं देखा गया। प्रदेश अध्यक्ष हाय हाय के नारों के अलावा वहां मौजूद केंद्रीय मंत्री और हाईकमान द्वारा प्रदेश के प्रभारी बनाए गए भूपेंद्र यादव के साथ झूमा – झटकी के अलावा उनके गनमैन तक को नहीं छोड़ा गया। संगठन के वरिष्ट नेता शिवप्रकाश हितानन्द और राज्यसभा सदस्य कविता पाटीदार के साथ भी दुर्व्यवहार किया गया
जबलपुर (सिटी डेस्क)। समूचे घटनाक्रम के वीडियो जमकर प्रसारित हुए। कांग्रेस के लिए तो मानो ये मुंह मांगी मुराद जैसा था। नाराज भाजपा कार्यकर्ताओं की मांग अभिलाष की टिकिट काटकर स्थानीय किसी को भी देने की थी। श्री यादव सहित वहां उपस्थित संगठन के नेता हंगामे के दौरान पूरी तरह असहाय नजर आ रहे थे और स्थिति को संभालने के लिए पार्टी का कोई भी स्थानीय जिम्मेदार कार्यालय में आने का साहस नहीं जुटा सका ऐसा लगा जैसे कार्यकर्ताओं और नेताओं के बीच संवाद पूरी तरह खत्म हो चुका है। टिकिटों के विरोध में प्रदेश के अनेक हिस्सों से विरोध की खबरें आ रही हैं। इस मामले में कांग्रेस और भाजपा दोनों की स्थिति एक जैसी है किंतु केंद्रीय मंत्री सहित संगठन के वरिष्ट नेताओं के सामने संभागीय कार्यालय में गत रात्रि जो कुछ देखने मिला उससे भाजपा के प्रशंसक और समर्थक दोनों हतप्रभ रह गए। उत्तर में कांग्रेस प्रत्याशी के बाहरी होने का विरोध भी पार्टी के भीतर पिछले कई महीनों से सुनाई दे रहा था। फिर भी विनय सक्सेना को दोबारा उम्मीदवार बनाए जाने पर कोई उग्र प्रतिक्रिया नहीं हुई किंतु अभिलाष के बाहरी होने पर उत्तर के भाजपाइयों में जो गुस्सा देखा गया वह अप्रत्याशित ही नहीं अभूतपूर्व भी था। कल का हंगामा चूंकि प्रदेश प्रभारी और संगठन के वरिष्ट नेताओं के सामने हुआ और वे खुद भी कार्यकर्ताओं के रोष का शिकार बने इसलिए ये माना जा सकता है कि पूरी जानकारी भोपाल और दिल्ली पहुंचा दी गई होगी। ये भी पता चला है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह तक पूरा प्रकरण पहुंच चुका है। केंद्रीय मंत्री और उनके निजी सुरक्षा कर्मी के साथ हुई हाथापाई निश्चित तौर पर गंभीर बात थी। सांसद कविता पाटीदार के सहायक के साथ बदसलूकी पर मामला भी दर्ज हुआ है। चूंकि चुनाव का समय है इसलिए संभवत: बड़े नेताओं के साथ की गई झूमा – झटकी को पार्टी हाईकमान नजरंदाज कर दे किंतु कल भाजपा संभागीय कार्यालय में जो हुआ उसे रोकने एक भी स्थानीय वरिष्ट नेता उपस्थित रहता और नाराज लोगों की भावनाएं बाहर से आए नेताओं तक पहुंचा देता तो बात इतनी नहीं बढ़ती। लेकिन ये भी सच है कि भाजपा का स्वरूप पूरी तरह बदल चुका है। पार्टी संगठन के साथ कार्यकर्ताओं का न संवाद है और न ही सामंजस्य । बचे खुचे वरिष्ट भी घर बैठने मजबूर कर दिए गए हैं। यही कारण रहा कि गत रात्रि संभागीय कार्यालय में घंटों अराजकता का जो माहौल बना रहा उसे नियंत्रित करने की जरूरत किसी ने नहीं समझी। जिससे ये संदेह भी उत्पन्न हुआ कि पूरे घटनाक्रम को कोई रिमोट कंट्रोल से संचालित कर रहा था। उत्तर की भाजपा टिकिट बदलेगी या नहीं ये तो जिन्होंने अभिलाष को चुना वही बेहतर जानते होंगे किंतु भाजपा के भीतर हुए इस महाभारत से कांग्रेस में जश्न एक माहौल है क्योंकि उत्तर सीट को लेकर भाजपा में उठे तूफान का असर शहर एवं जिले की अन्य सीटों पर भी पड़ सकता है । संसदीय क्षेत्र की आठ सीटों में टिकिट से वंचित अनेक नेताओं की पीड़ा ये है कि पूरी जवानी खफा देने के बाद अगला चुनाव आने तक वे बुढ़ापे की देहलीज पर आ खड़े होंगे ।