धीरज बलि का बकरा बनने से बचे : बाकी असंतुष्टों को भाव नहीं मिला
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गत दिवस नगर प्रवास के दौरान भाजपा की संभागीय बैठक में दो बार शिरकत की। पहले सत्र में उपस्थित रहने के बाद वे केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल के साथ छिंदवाड़ा के जुन्नारदेव गए और शाम को लौटकर एक बार फिर बैठक में आकर जीत के मंत्र के साथ ही कुछ नसीहतें भी दे गए। लेकिन स्थानीय स्तर पर सबसे महत्वपूर्ण रहा उनका उत्तर और पश्चिम में टिकिट वितरण से नाराज लोगों से मिलना इस क्रम में धीरज पटेरिया शरद जैन और हरेंद्रजीत सिंह बब्बू के नाम बताए जा रहे हैं। जिनको श्री शाह ने पार्टी का काम करने मना लिया। इस बारे में रोचक ये है कि बब्बू ने पश्चिम के प्रत्याशी राकेश सिंह के विरुद्ध खुलकर कुछ नहीं कहा और वे उनके चुनाव कार्यालय के उद्घाटन में भी शामिल रहे।
जबलपुर ( सिटी डेस्क)। सारा बवाल उत्तर सीट को लेकर ही हुआ जहां अभिलाष पांडे की उम्मीदवारी का ऐलान होते ही संभागीय कार्यालय में केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव, राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिव प्रकाश, प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा, राज्यसभा सदस्य कविता पाटीदार के सामने अन्य दावेदारों के समर्थक सैकड़ों की संख्या में घुस गए और उक्त नेताओं के साथ झूमा झटकी तक की गई। उस दौरान प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा विरुद्ध जमकर नारेबाजी भी हुई। बाद में केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल ने आकर उन सबको वहां से निकाला। टिकिट बदलने की मांग को जब पार्टी नेतृत्व ने भाव नहीं दिया तब ये खबर उड़ी कि 2018 की तरह श्री पटेरिया इस बार भी बागी बनकर भाजपा की राह में रोड़ा बनेंगे। जहां तक बात शरद जैन की है तो नाराज होने के बाद भी उनके बागी होने की संभावना न के बराबर थी। दूसरे असंतुष्ट भी अपनी ताकत का आकलन करने के बाद ठंडे पड़ते गए। यदि धीरज इस बार भी दुस्साहस करते तो उनके साथ पार्टी छोड़ने वाला कोई भी बड़ा चेहरा नहीं होता दूसरे शब्दों में कहें तो वे बलि एक बकरा बन जाते और इसलिए उन्होंने बहादुरी के बेहतर उनकी भेंट में भी ग्रहलाद पटेल की भूमिका सीट उल्लेखनीय रही। इस दौरान ये भी सुनने में आता रद्दी रहा कि संभागीय कार्यालय में पार्टी के वरिष्ट नेताओं के साथ हुए दुर्व्यवहार से प्रदेश संगठन भी मंत्री हितानंद शर्मा बेहद नाराज थे और वे उस में घटना के सूत्रधारों के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई करने का मन बना चुके थे किंतु मौके की नजाकत देखते हुए उच्च नेतृत्व ने उनको के फिलहाल रोक दिया। यद्यपि उत्तर सीट में अभिलाप की टिकिट का विरोध करने वाले अन्य नेता इस बात से रूष्ट हैं कि श्री शाह से मिलने श्री पटेरिया और श्री जैन को ही बुलाया गया और उनकी उपेक्षा की गई। इस बारे में ये है। भी सुनने में आया है कि पार्टी को बाकी के दावेदार महत्वहीन प्रतीत हुए। उसे लग गया था तरीके चतुराई का उपयोग किया। श्री शाह से कि धीरज और शरद जैन को मनाने के बाद बाकी के नाराज विकल्पहीन हो जाएंगे और न चाहते हुए भी पार्टी का साथ देंगे। बहरहाल भाजपा ने समय रहते उत्तर में बगावत के गुबार को शांत करवा लिया। हालांकि नाराज नेताओं की इस चुनाव में भूमिका और भविष्य के लिए आश्वासन को लेकर अभी कुछ भी स्पष्ट नहीं है । लेकिन समूचे घटनाक्रम से जो बात निकलकर आई वह ये कि संभागीय कार्यालय में हंगामे के बावजूद पार्टी नेतृत्व ने उत्तर से प्रत्याशी बदलने की मांग को जिस तरह की टोकरी में फेंका उसकी वजह से नाराज नेताओं का हौसला जवाब दे रहा था। शरद जैन उनके साथ जुड़ने से बचते रहे क्योंकि 2018 नाराज नेताओं के इसी जमावड़े ने ही उनको पराजय का स्वाद चखाया था। उनकी और धीरज की श्री शाह से मुलाकात के बाद बाकी नाराज पूरी तरह हाशिए पर चले गए हैं। प्रदेश और केंद्र दोनों ने ये संकेत दे दिए हैं कि एक हद के बाद किसी के नखरे और नाराजगी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। कुछ लोगों का हिसाब चुनाव के बाद किए जाने की चर्चा भी ही रही बहरहाल श्री शाह की एक दिवसीय यात्रा के बाद भाजपा ने अपने संगठित होने का सबूत दे दिया है। लेकिन जो नाराज थे उनके मन की थाह ले पाना कठिन है।