उत्तर- मध्य, पनागर, पाटन, सिहोरा में नाराज अपनों को मनाना कांग्रेस-भाजपा के लिये चुनौती से कम नहीं
जबलपुर, मुख्य संवाददाता। एक बात जगजाहिर है कि चुनाव में यदि अपना बगावत या विरोध करता है तो अमूमन नुकसान पार्टी प्रत्याशी या फिर विरोधी का होता है और यही कारण है कि हर उम्मीदवार के साथ पार्टी के जिम्मेवारों की कोशिश रहती है कि समय रहते बगावत या विरोध के सुर को दबा दिया जाये । अभी विधानसभा चुनाव लड़ने के लिये नामांकन फार्म लेने और जमा करने का सिलसिला चल रहा है। जिले की आठों विधानसभा में भाजपा, कांग्रेस सहित अन्य दलों द्वारा तय उम्मीदवारों ने तकरीबन फार्म जमा कर दिये है और इसके साथ ही कुछ विधानसभा से नाराज दावेदारों ने भी फार्म लिये है। इनमें से भाजपा-कांग्रेस से कौन-कौन दावेदार बगावत करके चुनाव मैदान में उतरता है इसका खुलासा दो नवंबर को नाम वापसी के साथ स्पष्ट हो जायेगा और इसके बाद दावेदार प्रभाव देख ही तय हो जायेगा कि किस विधानसभा में मुकाबला त्रिकोणीय या चर्तुथकोणीय है। वैसे यदि भाजपा की बात की जाये तो उत्तर-मध्य विधानसभा में प्रत्याशी का विरोध करने वालों में से एक या दो दावेदार के निर्दलीय उतरने की उम्मीद है वहीं पार्टी द्वारा तय प्रत्याशी का विरोध करने वालों को अपने स्तर पर समझाने की कोशिश भी की जा रही है। आज या सोमवार को यह पूरी तरह तय हो जायेगा कि पार्टी प्रत्याशी के विरोध में पार्टी का कौन बागी मैदान में रहता है। वैसे देखा जाये तो उत्तर में कांग्रेस प्रत्याशी के राह में पार्टी के कुछ असंतुष्ट नेता भी कांटा बोने तैयार है और ऐसी सूरत में कांग्रेस उम्मीदवार को कितना नुकसान होता है यह देखने वाली बात होगी। इसी तरह पनागर में फिलहाल कांग्रेस प्रत्याशी के विरोध में दो नेता खुलकर सामने है लेकिन अभी यह पूरी तरह तय नहीं है कि यंहा से मैदान में रहेगा कौन। वर्ष २०१८ के चुनाव में जब भाजपा प्रत्याशी इंद्र तिवारी के विरोध में पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष भारत सिंह यादव के चुनाव में उतरने पर यही कहा जा रहा था कि भारत सिंह के चुनाव लड़ने से नुकसान भाजपा को होगा लेकिन हुआ उलटा यहा कांग्रेस प्रत्याशी तीसरे नंबर पर रहे और भारत सिंह दूसरे नंबर पर । इससे यह पूरी तरह साफ हो गया यहा संगठन था ही नहीं कांग्रेस प्रत्याशी अपने दम पर चुनाव लड़ा और कांग्रेसियों ने गडढा खोदने में कोई कसर नहीं छोड़ी। इस बार भी फिलहाल कांग्रेस प्रत्याशी राजेश पटैल के सामने यही परेशानी सामने आ रही है।
फर्क सिर्फ इतना है कि इस बार कांग्रेस के दावेदार खुलकर सामने है। इसी तरह पाटन और सिहोरा विधानसभा में कांग्रेस प्रत्याशी के सामने कांग्रेस के नाराज दावेदार चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे है। यहा से भाजपा प्रत्याशी के विरोध में पूर्व विधायक के निर्दलीय चुनाव लड़ने की चर्चा सरगर्म है। अभी तक केण्ट, पश्चिम और पूर्व विधानसभा में भाजपा-कांग्रेस प्रत्याशी के विरोध में बगावत या विरोध की लहर नजर नहीं आ रही है।
एक हफ्ते बाद हो जायेगा स्पष्ट किस- किस विधानसभा में कितने बागी हैं
बताया जाता है आज सुबह ११ बजे से दोपहर तीन बजे तक और सोमवार ३० अक्टूबर को ४ घंटे का समय नामांकन फार्म करने का समय रहेगा। इसके बाद ३१ अक्टूबर को स्क्रूटनी और २ नवंबर को नाम वापसी के साथ यह पूरी तरह तय हो जायेगा कि किस विधानसभा से कितने प्रत्याशी मैदान में है या भाजपा-कांग्रेस से कौन-कौन बागी खड़ा है। इसके बाद कुछ हद तक चुनाव परिणाम की तस्वीर भी थोड़ी सामने आ जायेगी।