जबलपुर पश्चिम के मुकाबले पर सबकी नजर तरुण और राकेश दोनों पूरी ताकत झोंकेगे

जबलपुर पश्चिम के मुकाबले पर सबकी नजर तरुण और राकेश दोनों  पूरी ताकत झोंकेगे
जबलपुर पश्चिम के मुकाबले पर सबकी नजर तरुण और राकेश दोनों  पूरी ताकत झोंकेगे

जबलपुर (सिटी डेस्क)। सांसद राकेश सिंह को पश्चिम विधानसभा सीट से पूर्व वित्त मंत्री तरुण भनोत के विरुद्ध मैदान में उतारकर भाजपा ने मुकाबले को रोचक बना दिया है। एक समय था जब पश्चिम सीट भाजपा का गढ़ अब चुकी थी। पहले जयश्री बैनर्जी और फिर हरेंद्रजीत सिंह बब्बू ने इस पर कब्जा बनाए रखा किंतु 2013 में तरुण भनोत ने भाजपा से यह सीट मामूली अंतर से छीन ली । उससे ऐसा लगा था कि भाजपा 2018 में वापसी करेगी लेकिन श्री भनोत ने इस बार बड़ी जीत अर्जित की । उसके बाद बीते पांच वर्ष में उन्होंने अपनी स्थिति और मजबूत कर ली। लगभग 15 महीने तक कमलनाथ सरकार में वित्त मंत्री रहने से उनका राजनीतिक वजन भी बढ़ा है। पूरे क्षेत्र में उनके परिवार का प्रभाव नजर आता है। तरुण के पिता स्व.कृष्ण अवतार भनोत और चाचा चंद्रकांत भनोत भी इसी सीट से विधायक थे। संयोग ये है कि तरुण के अलावा उनके चाचा और अनुज नगर निगम पार्षद भी रह चुके हैं। इस प्रकार उनकी सामाजिक और राजनीतिक जड़ें काफी गहरी हैं। दूसरी तरफ उनके मुकाबले उतरे सांसद राकेश सिंह 2004 से लगातार लोकसभा चुनाव जीतते आए हैं । और हर चुनाव में जीत का अंतर बढ़ता गया। 2019 में तो वे चार लाख से भी ज्यादा मतों से जीते। और उसमें भी पश्चिम विधानसभा सीट पर उनको 80 हजार की लीड मिली जो अब तक का रिकॉर्ड है। श्री भनोत को चुनौती देने के लिए कोई सक्षम उम्मीदवार न होने से भाजपा ने श्री सिंह पर दांव लगाकर सभी को चौंका दिया। इस सीट से भाजपा टिकिट के अन्य दावेदारों की तुलना में वे निश्चित तौर पर काफी ताकतवर हैं। भाजपा को ये विश्वास है कि राजनीतिक दृष्टि से चूंकि श्री सिंह कांग्रेस प्रत्याशी की तुलना में ज्यादा अनुभवी हैं इसलिए वे इस सीट से कांग्रेस का वर्चस्व समाप्त कर देंगे। लोकसभा में पार्टी के सचेतक होने से राष्ट्रीय नेतृत्व के वे निकट हैं। सांसद बनने से पूर्व श्री सिंह ग्रामीण जिले के भाजपा अध्यक्ष भी रहे। इसलिए संगठन का तजुर्बा भी उनके पास है। लेकिन विधानसभा का चुनाव पूरी तरह से अलग होता है जिसमें निजी संपर्क और सहज उपलब्धता काफी मायने रखती है। कांग्रेस इस मोर्चे पर खुद को भारी मान रही है वहीं भाजपा का सोचना है ये चुनाव अब प्रत्याशी से ज्यादा पार्टी पर केंद्रित हो गया है और इस आधार पर वह अपने प्रतिबद्ध समर्थकों को वापस ले आयेगी। आशावाद दोनों पक्षों का अपनी जगह ठीक है । प्रत्याशी बदलकर भाजपा ने पिछली गलती सुधारी है और वह भी हैवीवेट देकर। वहीं कांग्रेस को उम्मीद है कि बतौर विधायक उसके उम्मीदवार का प्रदर्शन संतोषजनक रहा है। चूंकि श्री भनोत और श्री सिंह के लिए इस मुकाबले को जीतना हर हाल में जरूरी है इसलिए दोनों कोई कसर नहीं छोड़ रहे। प्रचार में अभी और तेजी आयेगी। बड़े नेताओं के आने की भी खबर है। वैसे दोनों बिना शोर – शराबे के अपनी मोर्चेबंदी कर रहे हैं। भाजपा जहां अपने संगठन के बलबूते इस लड़ाई को जीतना चाह रही है वहीं कांग्रेस प्रत्याशी का अपना नेटवर्क है। महापौर जगत बहादुर सिंह अन्नू का भी इसी क्षेत्र से होना श्री भनोत की अतिरिक्त ताकत है। वहीं निगम चुनाव में भाजपा के ज्यादा पार्षद जीतना श्री सिंह का हौसला बढ़ाने वाला है।