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MP Election: आदिवासियों की गढ़ है महाकौशल की ये सीट! दो परिवारों के बीच होती है राजनीतिक जंग

By MPHE Oct 7, 2023
MP Election: आदिवासियों की गढ़ है महाकौशल की ये सीट! दो परिवारों के बीच होती है राजनीतिक जंगMadhya Pradesh state location within India 3d isometric map
MP Election: आदिवासियों की गढ़ है महाकौशल की ये सीट! दो परिवारों के बीच होती है राजनीतिक जंग

Balaghat Baihar Vidhan Sabha Seat Analysis: छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र की सीमा से सटे बालाघाट जिले में स्थित बैहर विधानसभा सीट पर कांग्रेस और भाजपा के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिला है. साथ ही यहां दो परिवारों यानी नेताम और उइके परिवारों राजनीतिक वर्चस्व है. मुख्य रूप से आदिवासी बहुल इस क्षेत्र में बैगा जनजाति की आबादी 60% है. 1990 के दशक से यहां पर नक्सलियों का भी प्रभाव रहा है. हाल के चुनावों में यानी 2018 और 2013 में कांग्रेस के संजय उइके विजयी रहे, जबकि 2008 में भाजपा के भगत सिंह नेताम जीते हैं तो चलिए यहां के सियासी समीकरण को समझते हैं…

पिछले कुछ चुनाव के नतीजे
बालाघाट जिले की बैहर विधानसभा सीट पर, जो छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र की सीमा से घिरी है, पिछले कुछ वर्षों में जनता ने कांग्रेस और बीजेपी दोनों के बटन को दबाया है. 1990 के दशक से, नक्सलियों ने इस क्षेत्र में अपनी उपस्थिति स्थापित कर ली है, शुरुआत में 1990-91 में एक पटेल की जान लेकर भय पैदा किया और बाद में बैहर क्षेत्र में अपना प्रभाव बढ़ाया. 2018 के चुनाव में बैहर सीट पर कांग्रेस के संजय उइके 79,399 वोट हासिल कर विजयी रहे, जबकि बीजेपी की अनुपमा नेताम को 62,919 वोट मिले थे. संजय की जीत का अंतर 16,480 वोटों का था, वो दूसरी बार इस सीट से विधायक का चुनाव जीत विधानसभा पहुंचे थे. वहीं, इससे पहले 2013 के चुनावों में कांग्रेस के संजय उइके ने 82,419 वोटों के साथ जीत हासिल की थी, जबकि, बीजेपी के भगत सिंह नेताम को 50,067 वोट मिले थे. 2008 में, भाजपा के भगत सिंह नेताम ने 37,639 वोटों के साथ जीत हासिल की, उन्होंने संजय उइके को हराया, जिन्हें 32,922 वोट मिले थे.

मतदाता और जाति समीकरण
बता दें कि यहां कुल 2,26,084 मतदाताओं में से 1,11,059 महिलाएं, 1,15,023 पुरुष और 2 थर्ड जेंडर से हैं. बड़ी आबादी के बावजूद, क्षेत्र में आदिवासी और नक्सली प्रभाव के कारण, हाल के वर्षों में मतदान प्रतिशत 75.28% से 80.08% तक रहा है. बैहर विधानसभा क्षेत्र मुख्य रूप से आदिवासी बहुल है, यहां की लगभग 60 प्रतिशत आबादी बैगा जनजाति की है. इसके अलावा, बैहर में लगभग 40 प्रतिशत मतदाताओं में विभिन्न समुदाय शामिल हैं जैसे कि पवार, मरार, कलार, साहू, मुस्लिम, ईसाई धर्म, पनिका समाज, गडवाल, महार, यादव और अन्य.

दो परिवारों के बीच जंग
खास बात ये है कि 1972 में पांचवें विधानसभा चुनाव के बाद से, बैहर में मुख्य रूप से भाजपा के नेताम परिवार और कांग्रेस के उइके परिवार के बीच राजनीतिक लड़ाई हुई है. बैहर में उइके परिवार कांग्रेस का झंडा उठाता है, जबकि नेताम परिवार भाजपा से चुनाव लड़ता. इस सीट से कांग्रेस नेता गणपत सिंह उइके चार बार विधायक रहे, वर्तमान में उनके बेटे संजय उइके लगातार दो बार विधायक बने है. वहीं, भाजपा की ओर से सुधन्वा सिंह नेताम तीन बार विधायक रहे और उनके बेटे भगत सिंह नेताम दो बार विधायक चुने गए. आगामी 2023 के विधानसभा चुनावों में, भाजपा ने भगत सिंह नेताम को अपना उम्मीदवार बनाया है, वहीं,संजय उइके वर्तमान विधायक, जिसके चलते इन दो प्रभावशाली परिवारों के बीच एक बार चुनावी जंग देखने को मिल सकती है.

सीट का इतिहास
बैहर विधानसभा क्षेत्र के इतिहास की बात करें तो यहां पर कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी दोनों की जीत मिली है. जहां कांग्रेस ने कई बार जीत हासिल की है, वहीं भाजपा ने भी इस सीट पर अपनी छाप छोड़ी है, जिसमें सुधन्वा सिंह नेताम और भगत सिंह नेताम ने जीत हासिल की है. वर्तमान में कांग्रेस के संजय उइके विधायक हैं. ऐतिहासिक रूप से, बैहर क्षेत्र को कांग्रेस पार्टी का गढ़ माना जाता है, गोंडवाना गणतंत्र पार्टी भी हर चुनाव में अपनी उपस्थिति दर्ज कराती है, हालांकि कभी जीत नहीं हासिल कर पाई है. 1951 से 2018 के बीच हुए चुनावों में कांग्रेस ने नौ बार, बीजेपी ने चार बार, जनसंघ ने एक बार और निर्दलीय ने एक बार जीत हासिल की.

By MPHE

Senior Editor

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