Breaking
Fri. Jun 28th, 2024

पैगंबर के जन्मदिन पर खून खराबा करने वाले इंसानियत के दुश्मन

By MPHE Sep 30, 2023
पैगंबर के जन्मदिन पर खून खराबा करने वाले इंसानियत के दुश्मन
पैगंबर के जन्मदिन पर खून खराबा करने वाले इंसानियत के दुश्मन

संपादकीय- रवीन्द्र वाजपेयी

इस्लाम के अनुयायियों के लिए मोहम्मद पैगंबर साहब सबसे सम्मानित शख्सियत हैं जिनका जन्मदिन पूरी दुनिया में मुसलमान बड़े ही उत्साह के साथ मनाते हैं। खुशी के इस अवसर पर खून की होली खेलने जैसी बात शायद ही कोई सोचता होगा । लेकिन पाकिस्तान के बलूचिस्तान इलाके में मिलाद उन नबी का जुलूस निकालने एकत्र हुए लोगों के पास आत्मघाती विस्फोट में 50 से अधिक लोगों के मारे जाने और बड़ी संख्या में घायल होने की खबर है। जैसी कि आशंका है ये संख्या और बढ़ सकती है। मस्तुंग में अल फलाह रोड पर स्थित मदीना मस्जिद के पास के पास जमा हुए लोग उक्त धमाके का शिकार हुए। उसके कुछ घंटों बाद ही हंगू शहर की मस्जिद में हुए धमाके में 5 लोगों की जान चली गई। ये वाकई शोचनीय है कि पैगंबर साहब के जन्मदिन के मौके पर मुस्लिमों के पवित्र शहर मदीना के नाम पर बनी मस्जिद इस्लाम को मानने वाले निरपराध लोगों की मौत की गवाह बनी । पाकिस्तान के सीमांत इलाके में विस्फोट की घटनाएं पूर्व में भी घटी हैं। बलूचिस्तान में तो पाकिस्तान विरोधी भावनाएं खुलकर सामने आती रही हैं । अफगानिस्तान में तालिबानी सत्ता की वापसी के बाद से दोनों देशों के बीच सीमा का विवाद भी चल रहा है । पाकिस्तान ने अमेरिकी आधिपत्य के दौर में जिन तालिबानियों को अपनी सीमा के भीतर आकर अड्डे बनाने की सुविधा दी थी वे वापस जाने का नाम नहीं ले रहे और उस जमीन को अपना बता रहे हैं। अमेरिका को अफगानिस्तान से बेदखल करने में तालिबानियों का साथ देने वाले पाकिस्तान ने जो दोगलापन दिखाया उसका दंड वह अब भुगत रहा है। एक तरफ वह तालिबानियों को हर तरह से सहायता और संरक्षण देता रहा वहीं दूसरी तरफ अमेरिकी वायुसेना के विमानों को अफगानिस्तान पर हमले हेतु अपने हवाई अड्डे इस्तेमाल करने की छूट भी उसने दी। अफगानिस्तान से अमेरिकी फौजों की वापसी के बाद पाकिस्तान की छवि काबुल और वॉशिंगटन दोनों की नजर में खराब हो गई । अमेरिका ने उसकी मदद से हाथ खींच लिए तो तालिबानी अपने अड्डे उसकी जमीन से हटाने के बजाय अपना कब्जा जताने लगे। इस सबके कारण पाकिस्तान की अंदरूनी हालत दिन ब दिन खराब होती जा रही है। जिन इस्लामिक आतंकवादी संगठनों को वह पालता रहा वे ही अब उसकी जान के दुश्मन बन बैठे हैं। ये भी देखने मिल रहा है कि आतंकी सरगनाओं के बीच भी गैंगवार जैसे हालात पैदा हो गए हैं। लश्कर ए तैयबा के सह संस्थापक हाफिज सईद के बेटे का पेशावर में अज्ञात लोगों द्वारा अपहरण इसका ताजा प्रमाण है । जिसके बाद पूरे पाकिस्तान में हड़कंप है। खुफिया एजेंसी आई.एस.आई तक अपहरणकर्ताओं का पता लगाने में असमर्थ साबित हो रही है। इससे पता चलता है कि पाकिस्तान उन्हीं गड्ढों में गिरने की स्थिति में आ चुका है जो उसने दूसरों के लिए खोदे थे। हालांकि बलूचिस्तान में हुए दोनों धमाकों की जिम्मेदारी किसी संगठन ने नहीं ली किंतु इस घटना से एक बात साबित हो गई कि इस्लाम के नाम पर आतंक का झंडा थामे आतंकवादियों की इस मजहब के प्रति कोई श्रृद्धा या सहानुभूति नहीं है। वरना वे पैगंबर के जन्मदिवस जैसे पवित्र मौके पर मुस्लिमों को मौत के घाट न उतारते। इस घटना से भारत ही नहीं दुनिया भर के मुसलमानों को ये समझ लेना चाहिए कि इस्लामिक आतंकवाद उनका भी उतना ही बड़ा दुश्मन है जितना दूसरों का। उदाहरण के लिए कश्मीर घाटी में आए दिन पाकिस्तान से आकर आतंकवादी वहां रह रहे मुस्लिमों की हत्या कर देते हैं। अरब जगत के जो इस्लामी देश मजहब के नाम पर पाकिस्तान की तरफदारी करते आए हैं उनके लिए भी ये सोचने का समय आ गया है कि अंग्रेजों की कुटिल चालों से जन्मे इस देश की तासीर में ही खून – खराबा है। यही वजह है कि 75 साल बीत जाने के बाद भी वह राजनीतिक तौर पर स्थिर नहीं हो सका । कहने को वहां लोकतंत्र है और चुनाव का नाटक भी होता है किंतु विरोधी के प्रति निर्दयता का भाव बना हुआ है। पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ लंदन में निर्वासन काट रहे हैं वहीं इमरान खान देश में रहते हुए दुर्गति का शिकार हैं। फौज की मदद से तख्ता पलट और राजनीतिक प्रतिद्वंदी को जेल में डालने या फांसी चढ़ा देने जैसी घटनाएं इस देश के हालात बयां करने के लिए पर्याप्त हैं। उस दृष्टि से बलूचिस्तान के मस्तुंग और हंगू शहर में हुए विस्फोट चौंकाते नहीं हैं परंतु इनसे इस्लामिक आतकवादियों का इंसानियत विरोधी चेहरा एक बार फिर उजागर हो गया है।

By MPHE

Senior Editor

Related Post