क्या आप अपने जीवन में सफल होना चाहते हैं? यदि हां, तो इसके लिए आपको सबके साथ उत्तम व्यवहार करना होगा। उत्तम व्यवहार करने के लिए आपको मनोविज्ञान का अध्ययन अवश्य ही करना होगा। जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए खेती, व्यापार, इंजीनियरिंग, डॉक्टरी, कंप्यूटर चलाना, रेल, विमान चलाना इत्यादि अन्य भी अनेक कलाओं का ज्ञान होना आवश्यक है। परंतु इन सब कलाओं की जानकारी के साथ-साथ यदि आप मनोविज्ञान को नहीं जानते, तो इसके बिना आप जीवन में सफल नहीं हो सकते। क्योंकि मन का विज्ञान, एक ऐसा विज्ञान है, जिसको जानकर व्यक्ति सबके साथ अच्छा व्यवहार कर सकता है। सबको प्रसन्न कर सकता है। खेती व्यापार इत्यादि अन्य कलाओं की सहायता से व्यक्ति धन तो कमा सकता है, परंतु केवल इन कलाओं को ध्यान लेने मात्र से वह दूसरों को प्रसन्न नहीं कर सकता। दूसरों को प्रसन्न किए बिना वह उनका प्रेम और सहयोग प्राप्त नहीं कर सकता। और इसके बिना जीवन अधूरा है। दूसरे व्यक्ति के मन को प्रसन्न करना, यह एक बहुत बड़ी कला है। इसी कला से व्यक्ति दूसरों का प्रेम और सहयोग प्राप्त कर सकता है। और तभी उसे अपने उद्देश्य में या कार्यों में सफलता मिलती है, इसके बिना नहीं। यदि आप किसी व्यक्ति के मन को प्रसन्न करने में सफल हो गए, तो वह तन-मन-धन से आपको सहयोग देगा। और मनोविज्ञान की ठीक जानकारी न होने से यदि आपने उसे नाराज कर दिया, तो वह आपको कुछ भी सहयोग नहीं देगा। बल्कि हो सकता है, कि वह आपका विरोधी भी बन जाए। तब आप जीवन में सफल नहीं हो पाएंगे। बच्चों का मनोविज्ञान अलग होता है। जैसे-जैसे उनकी आयु बढ़ती जाती है, मन, बुद्धि का विकास होता जाता है, वैसे-वैसे उनकी रुचि क्रियाएं और प्रसन्नता के कारण भी बदलते रहते हैं। जो व्यक्ति इस बात को नहीं जानता, वह बच्चे, युवा, प्रौढ़ और को भी प्रसन्न नहीं कर पाएगा। इसलिए सभी आयु वर्ग के मनुष्यों का मन किस प्रकार से प्रसन्न होता है, उनकी किस आयु में क्या रुचि होती है, यह जानना वृद्ध किसी आवश्यक है । उनको उनका मनपसंद व्यवहार यदि मिल जाए, तो वे निश्चित रूप से प्रसन्न हो सकते हैं। सबको प्रसन्न करने के लिए उनका मनोविज्ञान जानना आवश्यक है। परंतु किसी व्यक्ति के मन को आप तभी तो प्रसन्न कर पाएंगे, जब आप मन का विज्ञान जानते हों। वेद, दर्शन, उपनिषदआदि ऋषियों के सत्य ग्रंथों में जगह-जगह पर मनोविज्ञान की बातें लिखी हैं । अतः वेद आदि शास्त्रों को पढ़ें। वहां से सही मनोविज्ञान को समझें और उसके अनुसार ही अपने सारे व्यवहार करें। तभी आप सबको प्रसन्न करके अपने कार्यों में और अपने जीवन में सफलता प्राप्त कर पाएंगे, अन्यथा नहीं।
-स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक, निदेशक दर्शन योग महाविद्यालय, रोजड़ गुजरात |