राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) का साथ छोड़ने के बाद नीतीश कुमार ने 28 जनवरी को बीजेपी के साथ सरकार बनाई थी.
नीतीश कुमार के शपथ लिए क़रीब 30 दिन हो गए लेकिन अभी तक अपने मंत्रिमंडल का विस्तार नहीं कर पाए हैं.
ऐसे में कई तरह के सवाल उठ रहे हैं. नीतीश कुमार न केवल गठबंधन को लेकर जूझ रहे हैं बल्कि अपनी पार्टी के भीतर भी कई मोर्चों पर जूझ रहे हैं.
अभी बिहार की नई सरकार में नीतीश कुमार को मिलाकर कुल 9 मंत्री शामिल हैं.
दरअसल, बीजेपी के साथ नीतीश की यह पारी कई चुनौतियों से भरी हुई मानी जाती है.
इस बार नीतीश कुमार का बीजेपी के साथ आना बहुत सामान्य नहीं है. नीतीश जब भी एनडीए में दोबारा आए हैं और ज़्यादा कमज़ोर होकर आए हैं.
कई लोग मानते हैं कि बिहार में बीजेपी की नई राजनीति और उसकी अपनी सरकार बनाने की मंशा नीतीश कुमार को असहज कर रही है. इससे दोनों सहयोगियों के बीच वह भरोसा नहीं बन पा रहा है जो पहले हुआ करता था.
नीतीश कुमार भले सीएम की कुर्सी पर हैं लेकिन उन्हें पता है कि ज़्यादा विधायक बीजेपी के पास हैं.
बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव नीतीश कुमार को लेकर तीखे बयान देने से बच रहे हैं और लालू प्रसाद यादव नीतीश के लिए अपना दरवाज़ा हमेशा खुला बता रहे हैं.
लेकिन ऐसा नहीं है कि नीतीश कुमार को केवल इन असहज हालात ने मंत्रिमंडल का विस्तार करने से रोका है.
संवैधानिक प्रावधानों के मुताबिक़ बिहार सरकार में अधिकतम 36 मंत्री बनाए जा सकते हैं.
यानी राज्य में अभी 27 मंत्रियों की कुर्सी ख़ाली है. इसमें सरकार की सबसे बड़ी साझेदार यानी बीजेपी का भी बड़ा कोटा होगा और जेडीयू का.
दरअसल, नीतीश कुमार के सामने सबसे बड़ी परेशानी विधानसभा में उनके दल की ताक़त है.
243 सीटों वाली बिहार विधानसभा में नीतीश के पास महज़ 45 विधायक हैं. वो विधानसभा में अपनी ताक़त बढ़ाना चाहते हैं.
नीतीश कुमार को लगता है कि बिहार में पिछले साल जारी हुए जातिगत सर्वे की वजह से उनको जनता का समर्थन मिलेगा और विधानसभा में उनकी पार्टी की ताक़त बढ़ सकती है.