एक करोड़ घरों के छत पर सोलर पैनल लगाने की केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री सूर्य घर योजना को भी सरकार पीएम उज्ज्वला योजना की तर्ज पर मिशन मोड में लागू करने की तैयारी कर रही है। 22 जनवरी, 2024 को राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के दिन इस योजना का ऐलान करने के बाद पिछले एक महीने के भीतर इस योजना को लागू करने को लेकर पीएमओ से लेकर नवीन व नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) के भीतर कई स्तरों पर समीक्षा बैठकें हो चुकी हैं।
सरकारी अधिकारी बताते हैं कि एमएनआरई मंत्रालय की यह योजना उज्जवला योजना से ज्यादा प्रभावशाली साबित हो सकती है। उज्ज्वला में सिर्फ एक घर में रसोई कनेक्शन ही दिया जाता था जिससे सिर्फ उस घर के परिवारों को लाभ पहुंचता था। लेकिन, सूर्य घर योजना एक घर का सालों भर बिजली बिल का बोझ भी कम करेगा, उसे बिजली सब्सिडी भी दिलाएगा और इससे जुड़ी सर्विसिंग (सौर प्रणाली लगाने या उसकी मरम्मत करने) के लिए कामगारों की एक फौज भी स्थापित करेगा।
बताते चलें कि जिस तरह से उज्ज्वला गरीबी रेखा के नीचे वाले वर्ग के लिए थी, सूर्य घर योजना भी इसी वर्ग के लिए है। अन्य सामान्य वर्ग के लिए छतों पर सौर प्रणाली लगाने की एक योजना पहले से ही चल रही है। सूर्य घर योजना में बिजली कनेक्शन के लिए कोई पैसा ग्राहक को तुरंत खर्च नहीं करना पड़ेगा। इसकी लागत का 40 फीसद सरकारी कंपनी लोन के तौर पर देगी जबकि 60 फीसद राशि सरकार बतौर सब्सिडी प्रदान करेगी।
पिछले एक महीने में पीएम नरेन्द्र मोदी कई सार्वजनिक कार्यक्रमों में इस योजना की गिनती करा चुके हैं। एक फरवरी, 2024 को अंतरिम बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इसका ऐलान किया था और 13 फरवरी, 2024 को पीएम मोदी ने इसको लागू करने की घोषणा की थी।
योजना के तहत आम जनता को अपनी छत पर सौर प्रणाली व्यवस्था लगानी है और इसे बिजली वितरण कंपनी के लाइन से जोड़ना है। इसके बाद जो खर्च आएगा उसका एक हिस्सा सरकार बतौर सब्सिडी सीधे बैंक खाते में ट्रांसफर करेगी। पीएम मोदी ने स्वयं कहा है कि इस योजना से हर घर रोजाना 300 यूनिट बिजली की बचत कर सकेगी और इस आधार पर सालाना 15,000-18,000 रुपये के बिजली बिल की बचत होगी।
पीएम ने यह भी कहा है कि लोगों के बैंक खातों में सीधे दी जाने वाली पर्याप्त सब्सिडी से लेकर भारी रियायती बैंक ऋण तक, केंद्र सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि लोगों पर लागत का कोई बोझ न पड़े। इस परियोजना में 75,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश होगा।
योजना को अमली जामा पहनाने के लिए सरकारी कंपनी इंडियन रिनीवेबल इनर्जी डेवलपमेंट एजेंसी (ईरडा) ने एक अलग सब्सिडियरी गठित करने की घोषणा की है। ईरडा इस योजना को निकट भविष्य में ग्रामीण क्षेत्रों में विस्तार करने में बहुत अहम भूमिका निभाने वाला है।
योजना को आगे बढ़ाते हुए एमएनआरई मंत्रालय की सोच यह है कि जब देश के लाखों घरों में सौर प्रणाली लगेगी तो इसकी सर्विसिंग व सेवाओं के लिए बहुत ज्यादा प्रशिक्षित श्रमशक्ति की भी जरूरत होगी। इसके लिए स्थानीय तौर पर इलेक्ट्रिशियन तैयार किये जाएंगे।