किसानों की हालत सिर मुड़ाते ही ओले पड़ने जैसी हो गई……

किसानों की हालत सिर मुड़ाते ही ओले पड़ने जैसी हो गई……
किसानों की हालत सिर मुड़ाते ही ओले पड़ने जैसी हो गई……

जिन खरीदी केन्द्रों में हो रही खरीदी उनमें से कई में धान जमा करने 120 रुपये प्रति क्विटंल के हिसाब से मांगा जा रहा कमीशन

जबलपुर ( हिन्दी एक्सप्रेस)। धान खरीदी में भर्राशाही की लगातार मिल रही शिकायतों के बाद आठ अधिकारियों पर निलंबन की कार्यवाही और ३६ वेयर हाउसों को ब्लैक लिस्ट किये जाने बीस नये खरीदी केन्द्र बनने के बाद किसानों ने सोचा था कि शायद अब उनकी धान आसानी से जमा हो जायेगी और उनसे जबरन पैसों की डिमांड भी नहीं की जायेगी लेकिन हो इसके पूरी तरह उलट हो रहा है। जिन खरीदी केन्द्रों में धान की खरीदी की जा रही है उनमें से कई खरीदी केन्द्र ऐसे है जंहा किसानों से धान जमा करने के बदले १२० रूपये प्रति क्विंटल कमीशन की मांग की जा रही है। इतना ही नहीं वेयर हाउस मालिक सीना ठोंक कर कह रहे है कि यदि उन्होंने यंहा धान नहीं जमा की तो कहीं और नहीं होगी, जिससे भी शिकायत करना हो कर लो कुछ नहीं होगा। मजबूरी में किसानों को उन्हीं वेयर हाउसों में धान जमा करना पड़ रही है। इतना ही नहीं कई किसानों को तो अभी तक पता नहीं है कि उन्हें धान किस खरीदी केन्द्र में जमा करना है। हालांकि प्रशासन द्वारा धान खरीदी केन्द्रों में भर्राशाही रोकने सात सदस्यीय जांच टीम गठित करने के साथ खरीदी केन्द्रवार नोडल अधिकारी भी नियुक्त किये गये है लेकिन इसके बाद भी कई केन्द्रों में धान की | तुलाई, भराई और धान जमा करने के लिये किसानों से पैसों की डिमांड की जा रही है। आंख मूंद कर खरीदी केन्द्र बनाने वाले राजस्व अधिकारियों पर भी हो कार्यवाही बताया जाता है हाल ही में जिन ३६ वेयर हाउस को ब्लेक लिस्ट किया गया है उनमें से कई ऐसे है जिनको खरीदी केन्द्र अनुविभागीय अधिकारियों द्वारा बनाया गया था लेकिन इनमें धान खरीदी में भर्राशाही मिलने पर ब्लेक लिस्ट करने की कार्यवाही की गई लेकिन अफसोस की बात है कि प्रशासन ने इन राजस्व अधिकारियों पर कार्यवाही करने की जहमत नहीं उठाई। राजस्व अधिकारियों ने किस हद तक लापरवाही की इसकी बानगी मात्र यह है कि धान खरीदी शुरू होने के बाद एक दिन भी इन अधिकारियों ने किसी भी खरीदी केन्द्र में निरीक्षण करने की जहमत नहीं उठाई। चूंकि किसानों की कई क्विंटल धान खुले आसमान के नीचे रखी है और मौसम विभाग ने मौसम बिगड़ने की संभावना जताई है इसलिए किसान भी मन मारकर खरीदी केन्द्रों में कमीशन देने मजबूर है। बहरहाल प्रशासन की अनदेखी के कारण इस बार धान खरीदी में जैसी भर्राशाही हुई उससे यही कहा जा रहा है कि अधिकारियो, दलालों और कई वेयर हाउस मालिकों ने तगड़ी कमाई के चक्कर में जमकर मनमानी की।