प्रत्येक व्यक्ति अपने सुंदर भविष्य के सपने देखता है। जैसे कि मैं डॉक्टर बनूंगा, इंजीनियर बनूंगा, पायलट बनूंगा।, बड़ा व्यापारी बनूंगा, करोड़पति-अरबपति सेठ बनूंगा। और विदेश जाकर वहां खूब धन कमाऊंगा। अपने परिवार और संबंधियों पर खूब रौब जमाऊंगा। दुनिया वालों को दबा के रखूंगा आदि-आदि। इस प्रकार के बहुत से सपने व्यक्ति देखता है। वेदों के अनुसार धन कमाना बुरी बात नहीं है। धन कमाना चाहिए, उसके बिना भी जीवन नहीं चलता। परंतु अपने परिवार और संबंधियों पर खूब रौब जमाऊंगा, दुनिया वालों को दबा कर रखूंगा आदि- आदि। इस प्रकार के गलत सपने नहीं देखने चाहिए। यह अधर्म है, दूसरी बात-लोगों को यह भी भयंकर भ्रांति है कि मैं बड़ा धनवान बनूंगा। बड़ा व्यापारी बनूंगा। मेरा बहुत अधिक सम्मान होगा। लोग मुझे सेल्यूट मारेंगे, मेरी सेवा करेंगे। इससे मेरी सब इच्छाएं शांत हो जाएंगी। मैं पूरी तरह से तृप्त हो जाऊंगा। और मेरा जीवन इतने में ही सफल हो जाएगा। वास्तव में ऐसा नहीं है। वास्तविकता तो यह है, कि भौतिक सुखों को भोगने से, इच्छाओं को पूरा करने से इच्छाएं और अधिक बढ़ती हैं। वे कभी भी समाप्त नहीं होती । परिणाम यह होता है, कि व्यक्ति का जीवन अशांत हो जाता है। सब प्रकार के भौतिक साधन होते हुए भी वह अंदर ही अंदर तड़पता रहता है। उसे बहुत बेचैनी होती है। उसको अपने अंदर एक अधूरापन लगता है। इसलिए ऐसा नहीं सोचना चाहिए और न ही ऐसा काम करना चाहिए, जैसा कि ऊपर बताया गया है। धन कमाएं, परंतु उतना ही कमाएं, जितना आपका जीवन चलाने के लिए आवश्यक हो । यदि आवश्यकता से अधिक धन कमाएंगे, तो वह आपके लिए समस्याएं उत्पन्न करेगा। आपके जीवन में तनाव चिंताएं, राग- द्वेष, काम, क्रोध, ईया, जलन, अभिमान और चरित्रहीनता झूठ छल कपट, मांस – शराब पीना इत्यादि अनेक दोषों को उत्पन्न करेगा। इसलिए ऐसा सोचने जुआ, म और करने में कोई लाभ या बुद्धिमत्ता नहीं है। एक कहावत है, आवश्यकताएं पूरी हो सकती हैं, इच्छाएं नहीं ।इसलिए इच्छाओं को पूरा करने का प्रयत्न न करें। ऐसे सपने न देखें। यह कार्य आपके लिए हानिकारक सिद्ध होगा। प्रश्न तो फिर अपने जीवन को सुखी और सफल बनाने के लिए क्या करना चाहिए ? उत्तर-आवश्यकता के अनुकूल धन कमाएं। और शेष समय एवं शक्ति को ईश्वर भक्ति में लगाएं। वेदों का अध्ययन करें। ईश्वर का ध्यान करें। यज्ञ करें ।प्राणियों की रक्षा करें। समाज की सेवा करें। परोपकार के कार्य करें। उत्तम कार्यों में कुछ दान भी करें। इस प्रकार के काम करने से आपको शांति मिलेगी, आध्यात्मिक आनंद मिलेगा, उत्साह बढ़ेगा और जो सुख प्राप्त करने की आपकी आंतरिक इच्छाएं हैं, वे भी पूरी हो जाएंगी। स्मरण रखें, असली सुख तो इस आध्यात्मिक आनंद में ही है, भोगों को भोगने में नहीं। वहां तो जीवन नष्ट ही होता है। संस्कार बिगड़ते हैं। अनेक जन्मों तक संसार में दुख भोगने पड़ते हैं। इसलिए अपने सपने पूरे तो करें। परंतु उन्हें पूरा करने के लिए अपनों के सपनों का विनाश न करें । जैसे आपके कुछ सपने हैं, ऐसे ही आपके परिवार के सदस्यों के भी कुछ सपने हैं। आप अपने सपने पूरे करें, और वे अपने। अपने सपने पूरे करने के प्रयास में अपने परिवार के लोगों के सपनों का नाश न करें, अर्थात केवल अपना ही स्वार्थ पूरा न करें, दूसरों का भी ध्यान रखें। आप भी सुखी हों, और आपके परिवार के लोग तथा अन्य मित्र भी, सब सुखी हों। इस प्रकार से योजना बनाकर कार्य करें। तभी आपका जीवन सुखमय बनेगा और सफल होगा। अन्यथा ईश्वर की न्याय व्यवस्था में आपको बहुत भयंकर दंड भोगने पड़ेंगे।
-स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक,
निदेशक दर्शन योग महाविद्यालय रोजड़, गुजरात।