पहले तीन विधायक थे कांग्रेस पार्षदों का सहारा अब मात्र एक बचे
नगर सत्ता को अपनाना होगा कड़े तेवर, अधिकारियों पर कसना होगी नकेल
जबलपुर, मुख्य संवाददाता। विधानसभा चुनाव में लगी आचार संहिता के कारण पार्षद मद के कार्य अटकने के बाद अब यही कहा जा रहा है कि आचार संहिता तो समाप्त हो गई लेकिन अधूरे पड़े काम यदि युध्दस्तर पर नहीं निपटाये गये तो फरवरी या मार्च में लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लगने के बाद ये काम फिर ठंडे बस्ते में चले जायेंगे और इससे जंहा मूलभूत समस्याओं का सामना नागरिकों को करना होगा वहीं वार्डों में विकास के काम भी थम जायेंगे। हालांकि भाजपा पार्षद दल ने पार्षद मद के काम प्राथमिकता से कराये जाने को लेकर आवाज बुलंद कर दी है लेकिन जिस तरीके की मनमानी और भर्राशाही नगर निगम में चल रही है उससे लगता नहीं कि भाजपा पार्षद दल की मांगों पर कोई निर्णय हो। वैसे देखा जाये तो अब भाजपा पार्षद दल नगर सत्ता के खिलाफ और आक्रमक हो जायेगा क्योंकि अभी तक शहर की चार में से तीन विधानसभा में कांग्रेस के विधायक थे और इससे नगर सत्ता सहित कांग्रेस पार्षदों को सबसे बड़ा सहारा यह था कि ये विधायक नगर निगम सदन सहित कांग्रेस पार्षदों के वार्ड में विकास कार्य करवाने में मदद करते थे लेकिन हाल ही में संपन्न विधानसभा चुनाव में चार में से मात्र एक विधानसभा पूर्व में ही कांग्रेस का विधायक जीता है इस लिहाज से देखा जाये तो नगर निगम में कांग्रेस अब कुछ कमजोर हो जायेगी। वैसे भी बात यदि महापौर की जाये तो वे तो पूरी ईमानदारी और मेहनत से काम कर रहे है और शहर विकास में वे न तो पक्ष देखते है ना ही विपक्ष दोनों को ही वे एक सामान सुनते है। लेकिन उनकी नगर सत्ता में कुछ ऐसे सदस्य भी है जो सक्रिय नहीं है जिससे नगर निगम में उनके विभागों के काम प्रभावित हो रहे है इसको लेकर उंगली महापौर पर उठती है। बताया जाता है इसके पहले शहर की तीन विधानसभा में कांग्रेस के विधायक होने के कारण कांग्रेस पार्षदों के वार्डों में विकास कार्यों के लिये विधायक अपनी विधायक निधि से राशि मुहैया करा देते थे। जिन काम के लिये पार्षद मद या निगमायुक्त से पार्षदों को मदद नहीं मिलती थी वे काम भी विधायक करवा देते थे लेकिन अब शहर में एक ही विधायक होने के कारण कांग्रेस पार्षदों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। वहीं इस संबंध में स्वास्थ्य प्रभारी अमरीश मिश्रा का कहना है कि यह सही है कि पहले तीन विधायक होने से काफी मदद मिलती थी लेकिन अब एक विधायक होने से थोड़ी परेशानी तो होगी ही लेकिन महापौर के काम करने की तरीके और उनकी लगातार सक्रियता के कारण विकास कार्यों में कोई चूक नहीं होगी।
भाजपा पार्षद दल अब और होगा आक्रामक
बताया जाता है वैसे तो पहले ही नगर निगम में भाजपा पार्षदों की संख्या कांग्रेस के मुकाबले ज्यादा होने के कारण भाजपा पार्षद दल समय समय पर नगर सत्ता पर हमला करने में आगे रहता था। चाहे नगर निगम सदन की बैठक हो या वार्डों में विकास कार्यों की बात नेता प्रतिपक्ष कमलेश अग्रवाल एवं भाजपा पार्षद दल नगर सत्ता को झुकाने कोई मौका नहीं चूकते थे अब जबकि शहर में कांग्रेस के एक मात्र विधायक है इसलिए भाजपा पार्षद दल अब और आक्रमक हो जायेगा। वैसे भी विधानसभा चुनाव निपटने के बाद भाजपा पार्षद दल ने नगर सत्ता के खिलाफ फिर से मोर्चा खोल दिया है। नेता प्रतिपक्ष कमलेश अग्रवाल का कहना है कि अधिकारी मनमानी कर रहे है, सफाई व्यवस्था चरपट है शहर के कई वार्ड शाम ढलने के बाद अंधकार में डूब जाते है। अधिकारी इतने बेलगाम हो गये है कि किसी की सुन ही नहीं रहे है। इसको लेकर भाजपा पार्षद दल आंदोलन की रणनीति बना रहा है।