भाजपा विकास की दम पर तो कांग्रेस प्रदेश सरकार की नाकामी को मुददा बनाकर मांग रही वोट
स्वाभाविक सी बात है जिस विधानसभा में कोई एक पार्टी लगातार चुनाव जीत रही है तो वहा प्रत्याशी ने जनता के मन के अनुसार काम कराया है इसलिए मतदाताओं दूसरे दल के प्रत्याशी को भाव नहीं दे रहे है । पनागर विधानसभा भाजपा का गढ़ बन चुकी है और इसके पीछे एक वजह बिखरी हुई कांग्रेस तो है ही इसके अलावा यहा भाजपा विधायक द्वारा अच्छे विकास कार्य कराने के कारण जनता भाजपा के साथ है।
जबलपुर, मुख्य संवाददाता। इस बार भाजपा ने जंहा दो बार लगातार चुनाव जीते इंदू तिवारी को तीसरी बार प्रत्याशी के रूप में उतारा है तो वहीं कांग्रेस ने पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष राजेश पटैल को प्रत्याशी बनाया है। चूंकि विधायक श्री तिवारी यंहा से वर्ष २०१३ के बाद वर्ष २०१८ में महाकौशल में सर्वाधिक मतों से चुनाव जीते थे इसलिए उनका टिकिट कटना मुश्किल रहा और इस वजह से यहा से भाजपा की ओर से ज्यादा दावेदारी सामने नहीं आई वहीं कांग्रेस से राजेश पटैल के अलावा विनोद श्रीवास्तव, वीरेन्द्र चौबे के अलावा भाजपा छोड़ चुके पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष भारत सिंह यादव भी टिकिट की आस में थे लेकिन उनमें से राजेश की लॉटरी खुल गई इसलिए विनोद श्रीवास्तव ने निर्दलीय नामांकन जमा कर दिया था और वीरेन्द्र चौबे ने भी निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया था लेकिन किसी तरह पार्टी ने इन्हें मना लिया लेकिन इनमें से एक दो ऐसे है जो काम करने की बजाये घर बैठ गये है। कांग्रेसियों की नाराजगी के कारण कांग्रेस प्रत्याशी को दोगुनी मेहनत करना पड़ रही है। इतना ही नहीं उन्हें पार्टी के विभीषणों से भी जूझना पड़ रहा है। ऐसी स्थिति में कांग्रेस प्रत्याशी को अपने समर्थकों का सहारा लेना पड़ रहा है। कांग्रेस प्रत्याशी के जनसंपर्क में एक वर्ग विशेष के लोगों की मौजूदगी के कारण दूसरे वर्ग के मतदाताओं को मन खिन्न हो रहा है जो कांग्रेस के लिये नुकसान देय साबित हो सकता है। समय रहते यदि कांग्रेस ने इस स्थिति को सुधार लिया तो उसका फायदा भी हो सकता है भाजपा-कांग्रेस में सीधी टक्कर हो सकती है। वहीं दूसरी ओर कांग्रेस के लिये नुकसान की एक बात यह भी है कि दो बार से लगातार चुनाव जीत रहे भाजपा प्रत्याशी इस बार अपने दो कार्यकाल में किये गये विकास कार्यों के सहारे वोट मांग रहे है वहीं मजबूत संगठन के कारण कार्यकर्ता भी कदम से कदम मिलाकर मेहनत कर रहे है। इसको देखते हुये कांग्रेस भी भाजपा के खिलाफ मुददों की तलाश में है। फिलहाल तो यहा भाजपा का पलड़ा भारी नजर आ रहा है लेकिन यह भी सही है कि आखिर समय में मतदाताओं का रूख कंहा घूम जाये कहा नहीं जा सकता। इस बार पनागर में कोई ऐसा निर्दलीय नजर नहीं आ रहा जो भाजपा या कांग्रेस की जीत-हार का कारण बन सके।