श्री अन्नपूर्णा व्रत महोत्सव 2 दिसंबर से

श्री अन्नपूर्णा व्रत महोत्सव 2 दिसंबर से
श्री अन्नपूर्णा व्रत महोत्सव 2 दिसंबर से

जबलपुर, मुख्य संवाददाता। सुख-सौभाग्य एवं अन्य मनोरथ को पूर्ण करने वाले श्री अन्नपूर्णा व्रत महोत्सव का शुभारंभ शनिवार 2 दिसंबर को हो रहा है। कबूतरखाना निवाड़गंज स्थित श्री अन्नपूर्णा मंदिर में 21 दिवसीय व्रत अनुष्ठान का यह आयोजन होना है। शनिवार 2 दिसंबर को प्रातः 10 बजे माता रानी की आराधना प्रारंभ करने से पूर्व मंदिर प्रांगण से कलश यात्रा निकलेगी। इस कड़ी में प्रातः काल से ही मां अन्नपूर्णा का पूजन-अर्चन किया जायेगा। तदोपरांत कथा का वाचन व भक्तजनों द्वारा माता को श्रृंगार अर्पित किया जायेगा। इसके अलावा प्रतिदिन रात्रि 8 बजे महिलाओं द्वारा मातारानी की महाआरती की जायेगी।
व्रत का महत्व- पौराणिक कथाओं के अनुसार में एक बार काशी नगरी में अकाल पड़ा था। तब जगतजननी माता पार्वती ने इस संकट से नगरी को उबारने के लिए श्री अन्नपूर्णा जी के रूप में काशी नरेश भगवान विश्वनाथ को भिक्षा दी थी। तब माता अन्नपूर्णा ने कहा था कि जिस घर में भी मेरा पूजन- अर्चन व आराधना की जाएगी वहां पर हमेशा ही धन-धान्य के साथ सुख-सौभाग्य का वास बना रहेगा। तब से प्रतिवर्ष मार्गशीर्ष (अगहन) मास में मां अन्नपूर्णा का व्रत व पूजन विधि विधान से करने का विधान प्रारंभ हुआ है। व्रत अगहन मास में 21 दिनों तक किए जाते हैं। इस माह के कृष्ण पक्ष की पंचमी से यह व्रत महोत्सव प्रारंभ होता है। जिनका समापन अगहन माह की पूर्णिमा को होता है। समापन अवसर पर हवन पूजन के साथ प्रसाद वितरण किया जाएगा। इसके अलावा कई व्रतधारियों द्वारा पांच, 11 तथा 17 तथा पांच दिन के व्रत भी अपनी सुविधा के अनुसार किए जाते हैं। प्राचीन मंदिर – निवाड़गंज कबूतरखाना स्थित श्री अन्नपूर्णा मंदिर का निर्माण करीब सौ वर्ष गल्ला मंडी के व्यवसायियों तथा स्थानीय धर्मप्रेमियों द्वारा कराया गया था। मंदिर स्थापनाकाल से ही अन्नपूर्णा देवी की सेवा गोस्वामी परिवार के द्वारा की जा रही है। मंदिर मां अन्नपूर्णा जी के अलावा भगवान श्री राधाकृष्ण एवं श्री लक्ष्मीनारायण जी की नयनाभिराम प्रतिमाएं विराजमान हैं।

सभी मनोकामना पूर्ण करती हैं माता

भक्तों के अनुसार यहां पर जो भी भक्त अपना संकट लेकर भगवती के सामने रखता है उसका निश्चित रूप निदान होता है। भक्तों द्वारा अन्य सामान्य दिनों में भी माता का पूजन व श्रंगार किया जाता है। विशेष रूप से मंगलवार और गुरुवार को माता के दरबार में भक्त अपनी अर्जी लेकर पहुंचते हैं।