एक ऐसे समाज की कल्पना करिए जहां सब देने वाले हों ? सवाल ये नहीं है कि कौन कितना दे रहा है। सवाल सिर्फ ये है कि हर हाथ देने के लिए उठे हैं। लेने के लिए कोई हाथ ही नहीं। बस वही राम राज्य है। मन का भाव देने वाला हो, सब अमीर हैं। और सबसे बड़ा धनवान तो वो है जो अपनी आय का बड़ा हिस्सा लोगों की मदद के लिए दान कर दे। भारत आज भी ऐसे ही दानवीरों का देश है जो अभाव में भी दस पैसा देने की नीयत रखते हैं। यही भारत की असल पूंजी है। यही मानवता की असली थाती । इन्हीं के भरोसे लाखों करोड़ों लोग रोटी पाते हैं। इन्हीं के भरोसे लाखों लोग एक बोतल पानी लेकर सैकड़ों किलोमीटर की पदयात्रा पर निकल जाते हैं कि कोई न कोई मिल ही जाएगा, मदद करने वाला। अनाम और अनजान लोगों के प्रति यही भरोसा भारत है। बाकी सारा विकास इंडिया। .
आलेख : संजय तिवारी मणिभद्र