पनागर, पाटन के कांग्रेसी दावेदारों में जमकर मची खींचतान, सिहोरा का भी नहीं हो पा रहा फैसला

जबलपुर, मुख्य संवाददाता। कांग्रेस की आठ में से पांच विधानसभा में प्रत्याशी कौन होगा यह करीब- करीब तय है लेकिन पनागर, सिहोरा और पाटन विधानसभा में प्रत्याशियों को लेकर अभी भी संशय की स्थिति बनी हुई है। सिहोरा में तो प्रत्याशी को लेकर ज्यादा तनातनी नहीं है लेकिन पनागर और पाटन में दावेदारों की संख्या ज्यादा होने के कारण जमकर खींचतान मची हुई है। पनागर और सिहोरा विधानसभा ऐसी है जंहा से कांग्रेस लगातार चुनाव हारती आ रही है और यदि वह इन सीटों पर फिर से कब्जा करना चाहती है तो उसे सर्वमान्य और ऐसे प्रत्याशी को उतारना होगा जो भाजपा प्रत्याशी से किसी भी बात में कम न हो।

पनागर विधानसभा :- यंहा से कांग्रेस लगातार चुनाव हार रही है और इतना ही नहीं हर बार उसका वोट प्रतिशत भी कम होता जा रहा है। वर्ष 2018 के चुनाव में तो यहां कांग्रेस प्रत्याशी तीसरे नंबर पर रहा जबकि भाजपा के बागी भारत सिंह यादव दूसरे स्थान पर थे। भाजपा प्रत्याशी इंदू तिवारी यहां से महाकौशल में सर्वाधिक मतों से चुनाव जीते । इस बार यहां से पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष राजेश पटैल, वीरेन्द्र चौबे और विनोद श्रीवास्तव कांग्रेस टिकिट की दौड़ में हैं। इनके अलावा भाजपा छोड़ चुके पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष भारत सिंह यादव भी इस शर्त पर कांग्रेस में आना चाह रहे है कि वह उन्हें यहां से उम्मीदवार बनाये। हालांकि अभी उनके कांग्रेस में शामिल होने को लेकर सिर्फ चर्चायें ही सरगर्म हैं। पनागर में भाजपा का संगठन भी मजबूती से काम कर रहा है। दो कार्यकाल में श्री तिवारी ने जिस तरह से विकास कार्य कराये और जनता में अपनी पैठ बनाई उसे देखते हुये यहां से कांग्रेस की राह आसान नजर नहीं आ रही है। पार्टी यदि चाहती है कि भाजपा को टक्कर दे तो इसके लिये सबसे पहले उसे ऐसा प्रत्याशी उतारना होगा जिसकी पकड़ पार्टी और जनता दोनों में हो । हर बार की तरह यहां कांग्रेसियों ने अपने प्रत्याशी की टांग नहीं खींची तभी भाजपा को टक्कर दे सकती है।

सिहोरा विधानसभा :- यह भाजपा का गढ़ बन चुका है। आज की तारीख में यहां से एक-दो ही ऐसे कांग्रेसी दावेदार नजर आ रहे है जो पहचान को मोहताज नहीं हैं। सिहोरावासी वर्षो से सिहोरा को जिला बनाने की मांग करते आ रहे है और इसके लिए चरणबध्द आंदोलन भी चला रहे हैं। इसके लिए कई बार सिहोरा बंद कर विरोध प्रदर्शन में जता चुके है। सिहोरावासियों को उम्मीद थी कि जब मुख्यमंत्री ने मैहर और पाहुँना को जिला बनाने की घोषणा की थी उसी के साथ सिहोरा को भी जिला बनाने का निर्णय लेते । लेकिन हाल-फिलहाल सिहोरा का जिला बनना मुश्किल नजर आ रहा है। सिहोरावासियों की इस नाराजगी को यदि कांग्रेस भुना सकी तो आगामी चुनाव में भाजपा को परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। यहां से भाजपा से विधायक श्रीमती नंदनी मरावी की उम्मीदवारी तय मानी जा रही है वहीं कांग्रेस से जिला पंचायत अध्यक्ष सुश्री एकता ठाकुर दौड़ में सबसे आगे नजर आ रही है।

पाटन विधानसभा : वर्ष 2013 के चुनाव में कांग्रेस से पहली बार चुनाव लड़े युवा नीलेश अवस्थी ने पूर्व कैबिनेट मंत्री एवं भाजपा के वरिष्ठ विधायक अजय विश्नोई को हराकर सुर्खिया बटोरी थीं। उसके बाद श्री विश्नोई ने 2018 के चुनाव में अपनी हार का बदला लेते हुये श्री अवस्थी को तगड़ी मात दे दी। इस बार भी यहां से भाजपा से श्री विश्नोई का चुनाव लडना करीब करीब तय है। लेकिन अभी कांग्रेस में असमंजस है कि नीलेश को उम्मीदवार बनाएं या फिर किसी और को। वैसे नीलेश के अलावा करीब आधा दर्जन दावेदार दौड़ में है । इन उम्मीदवारों ने मिलकर तय किया है कि इन उनमें से किसी एक को यदि टिकिट मिलती है तो बाकी सभी मिलकर उसे जितवाने के लिये मेहनत करेंगे। ऐसी सूरत में यही कहा जा रहा है कि यदि इन छह में से किसी को टिकिट नहीं मिली और पार्टी ने नीलेश को प्रत्याशी बनाया तो इन छह दावेदारों के कारण उनको कई तरह की परेशानियां उठाना पड़ सकता है ।