शुरुआती बढ़त खोती जा रही कांग्रेस टिकिट वितरण के बाद कमलनाथ के प्रति नाराजगी बढ़ती जा रही

शुरुआती बढ़त खोती जा रही कांग्रेस  टिकिट वितरण के बाद  कमलनाथ  के प्रति नाराजगी  बढ़ती जा रही
शुरुआती बढ़त खोती जा रही कांग्रेस  टिकिट वितरण के बाद  कमलनाथ  के प्रति नाराजगी  बढ़ती जा रही

भोपाल (निप्र)। दो तीन महीने पहले म.प्र विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जो बढ़त नजर आ रही थी वह लगातार ढलान पर है। टिकटों की घोषणा के बाद जिस तरह की बगावत पूरे प्रदेश में हुई वह इसका प्रमाण है। सबसे बड़ी बात ये है कि जिन कमलनाथ को पूरी कांग्रेस एकमत से मुख्यमंत्री का चेहरा मान बैठी थी वे ही पार्टी जनों के गुस्से के सबसे बड़े केंद्र हैं। हालांकि उम्मीदवारों के चयन में दिग्विजय सिंह की भी भूमिका रही किंतु ज्यादातर टिकिटें श्री नाथ के समर्थकों को ही मिलने से वे सर्वाधिक विवादास्पद हो गए हैं । इस बारे में सबसे रोचक बात ये है कि अपने पसंदीदा लोगों को उम्मीदवार बनवाने के बाद दिग्विजय सिंह शांत होकर बैठ गए और गालियां श्री नाथ के हिस्से में आ रही हैं। हालांकि श्री सिंह के विरुद्ध भी गुस्सा देखने में आया किंतु श्री नाथ को पूरे प्रदेश में टिकिट से वंचित कार्यकर्ताओं का रोष झेलना पड़ रहा है। इसका दुष्परिणाम ये है कि दूसरी पंक्ति के नाथ समर्थक अपनी चमड़ी बचाने पर्दे के पीछे चले गए हैं। इन सबके कारण जो सर्वे कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत दे रहे थे वे अब भाजपा का ग्राफ उठता दिखाने लगे । असंतोष भगवा पार्टी में भी कम नहीं है किंतु उसके पास आग में पानी डालने वाले नेताओं की बड़ी फौज होने से वह टिकिट कटने से उत्पन्न नाराजगी दूर करने में काफी हद तक सफल हो गई है जबकि कांग्रेस में सारा बोझ श्री नाथ के कंधों पर है। केंद्रीय नेता रणदीप सुरजेवाला भी असर छोड़ने में नाकामयाब साबित हो रहे हैं। नौबत यहां तक आ गई कि कार्यकर्ताओं के गुस्से से बचने उनको दूसरी गाड़ी में भागना पड़ा। ये सब देखते हुए कोंग्रेस की जीत के प्रति आश्वस्त चुनाव विश्लेषक भी अब उसे 100 सीटों के नीचे ले आए हैं। भाजपा हाईकमान ने म.प्र पर जिस तरह ध्यान केंद्रित किया उससे भी पार्टी की संभावनाएं निरंतर मजबूत हो रही हैं। सबसे बड़ी बात ये है कि भाजपा ने क्षेत्रीय स्तर के नेताओं को महत्व प्रदान कर कार्य का विकेंद्रीकरण कर दिया जिसका प्रभाव भी स्पष्ट नजर आने लगा है।