इंदौर एजेंसी। इंदौर में शक्ति के कई उपासना स्थल हैं। इनके बीच महाराष्ट्र में स्थित साढ़े तीन शक्तिपीठ में विराजित चार देवियों के दर्शन इंदौर के पलसीकर कालोनी स्थित मंदिर भक्तों को एक साथ होते हैं। यहां कोल्हापुर की देवी महालक्ष्मी, तुलजापुर की तुलजा भवानी, माहुर की रेणुका देवी और नासिक की सप्तशृंगी देवी, चौसठ योगिनी की लघु रूप की मूर्तियां विराजित हैं। यहां देवियों के पूजन की परंपरा भी शक्तिपीठ में होने वाले पूजन की तरह ही है।
मंदिर का इतिहास – साढ़े तीन देवियों के दर्शन के लिए महाराष्ट्र जाने वाले भक्तों को दर्शन-पूजन का लाभ इंदौर में भी मिल सके, इसके लिए वर्ष 2009 में देवियों की प्रतिष्ठा की गई। बताया जाता है कि मां महालक्ष्मी, तुलजा भवानी, रेणुका माता मंदिर पूर्ण पीठ जबकि सप्तशृंगी माता को अर्ध शक्तिपीठ कहा जाता है। मूर्तियों की स्थापना करवीर पीठ के शंकराचार्य अन्नपूर्णा मंदिर के महामंडलेश्वर विश्वेश्वरानंद गिरि ने की थी। यहां माता के दर्शन के लिए अवधेशानंद, उत्तम स्वामी, स्वामी गिरिजानंद महाराज, बिंदु महाराज, प्रणवानंद, किन्नर महामंडलेश्वर लक्ष्मी, कल्याणी माताजी भी आए हैं।
विशेष अवसर पर होते विभिन्न पूजन – अनुष्ठान – यहां गुरुवार व विशिष्ट अवसरों पर विभिन्न पूजन-अनुष्ठान होते हैं। ऐसे शुभ अवसरों पर आटे के 75 दीपों से आरती की जाती है। इनमें नौ दीपक देवियों के, 64 दीपक योगिनी, एक दीपक कालभैरव और एक दीपक दत्तात्रेय भगवान का होता है । अनेक भक्त मनोकामना पूर्ण होने पर दुर्गा सप्तशती और दुर्गा चालीसा का पाठ करते हैं। माता के दर्शन-पूजन के लिए दिनों दिन श्रद्धालुओं की संख्या में वृद्धि हो रही है। यहां होने वाले अनुष्ठानों में शहरभर के माता भक्त शामिल होते हैं।
एक स्थान पर हों दर्शन, इसलिए किया विराजित – एक स्थान पर माता के विभिन्न स्वरूपों के दर्शन भक्तों को हो सकें, इसलिए साढ़े तीन शक्तिपीठ की स्थापना की गई है। ये सभी शक्तिपीठ महाराष्ट्र में स्थित हैं। इंदौर में ऐसे भक्तों की बड़ी संख्या है जो इन स्थानों पर दर्शन-पूजन के लिए वर्ष में कई बार जाते हैं ।