खालिस्तान से आजिज आ चुके हैं सिख समुदाय के लोग दिल्ली में Say no to Khalistan की तख्ती लगाई सिख युवक ने

खालिस्तान से आजिज आ चुके हैं सिख समुदाय के लोग दिल्ली में  Say no to Khalistan की तख्ती लगाई सिख युवक ने
खालिस्तान से आजिज आ चुके हैं सिख समुदाय के लोग दिल्ली में  Say no to Khalistan की तख्ती लगाई सिख युवक ने

नई दिल्ली।दिल्ली के कनॉट प्लेस में ‘से नो टू खालिस्तान’ की तख्ती लहराने वाले ज्योत जीत सिंह ने कहा है कि सिख समुदाय के लोग खालिस्तानियों से आजिज हो चुके हैं। उनकी गतिविधियां अधिकतर सिखों के लिए शर्मसार करने वाली हैं। 30 साल के ज्योत जीत पाजी का दिल्ली के कनॉट प्लेस में बनाया गया एक वीडियो सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रहा है। वीडियो में उन्होंने एक तख्ती ले रखी है जिस पर ‘से नो टू खालिस्तान’ (यानी खालिस्तान को ना कहिए) संदेश लिखा है।उन्होंने कहा कि उनके इस कदम को लेकर ऑनलाइन मंच पर उनकी प्रशंसा और बुराई दोनों की जा रही है। उनका यह बयान भारत और कनाडा के बीच एक खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या को लेकर चल रहे तनाव के बीच आया है।सिंह ने दो अक्टूबर को कनॉट प्लेस में दो मिनट 40 सेंकेंड का एक वीडियो बनाया जिसमें वह पीली पगड़ी पहने हुए और एक तख्ती लिये हुए नजर आ रहे हैं। इस तख्ती पर ‘मेरा भारत मेरी जान’ और ‘से नो टू खालिस्तान’ लिखा है। वीडियो में यह भी दिख रहा है कि लोग उनसे हाथ मिला रहे हैं तथा उनका वीडियो बना रहे हैं।लंदन से आपदा प्रबंधन पाठ्यक्रम करने के बाद सिंह इन दिनों यहां राजनीति और कट्टरपंथ विरोधी कार्यों में बढ़-चढ़कर शामिल हो रहे हैं।उन्होंने न्यूज एजेंसी से कहा, ‘इस साहसिक कदम के लिए मुझे सिखों से हजारों संदेश और कॉल आये। ऐसे भी लोग हैं जिन्होंने मुझे धमकी एवं गालियां दीं क्योंकि यह वीडियो सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से साझा किया गया है।’

उन्होंने कहा, ‘हकीकत यह है कि सिख खालिस्तानियों से आजिज हो चुके हैं। उनकी गतिविधियां ज्यादातर सिखों के लिए शर्मसार करने वाली हैं क्योंकि हमारे समुदाय की कई पीढ़ियों ने देश एवं तिरंगे की खातिर अपना बलिदान दिया है।’अब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की दिल्ली इकाई के प्रवक्ता सिंह ने कहा कि अपने आपदा प्रबंधन पाठ्यक्रम के दौरान उन्होंने आतंकवाद निरोधक एवं कट्टरपंथ निरोधक कार्य के बारे में सीखा।

सिंह ने कहा, ‘मैंने कई सिखों से पूछा कि वे खालिस्तानियों को चुनौती क्यों नहीं देते, तब उन्होंने कहा कि वे धमकी और गालियों की आशंका से डर जाते हैं लेकिन उन्होंने महसूस किया कि चंद लोग सिख धर्म को बदनाम कर रहे हैं और बहुत नुकसान पहुंचा रहे हैं।’